वाराणसी। जिस नेपाली युवक का सिर मुड़वाकर जय श्रीराम लिखकर नेपाल के प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी कराई गई, शनिवार को जब वह सामने आया तो नई कहानी सामने आई। युवक के अनुसार वह नेपाल का निवासी नहीं है, बल्कि भारतीय नागरिक है। उसके पूर्वज नेपाल के थे, लेकिन वह कहां रहते थे, वह यह नहीं जानता।
वहीं, इस मामले में शनिवार को युवक का बाल छीलने वाले नाई सरायनंदन शुकुलपुरा निवासी जय गणेश शर्मा और भदैनी के राजेश राजभर उर्फ महंगू को गिरफ्तार किया गया। प्रकरण में अब पुलिस को विश्व हिंदू सेना के संस्थापक अरुण पाठक की तलाश है।
सोशल मीडिया में गुरुवार को एक वीडियो वायरल हुआ था। वायरल वीडियो में विश्व हिंदू सेना की ओर से दावा किया गया कि अयोध्या और श्रीराम के बारे में नेपाल के प्रधानमंत्री के विवादित बयान के विरोध में नेपाली युवक का सिर मुड़वाकर जय श्रीराम लिखा गया है। इसके साथ ही युवक से नेपाल और वहां के प्रधानमंत्री के खिलाफ नारेबाजी कराई गई है।
वीडियो के वायरल होते ही अरुण पाठक और अन्य अज्ञात के खिलाफ भेलूपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। शुक्रवार को प्रकरण में चार आरोपी और शनिवार को दो आरोपी गिरफ्तार किए गए। इस बीच शनिवार की दोपहर दूर्गाकुंड चौकी इंचार्ज प्रकाश सिंह ने जिस युवक का सिर मुड़वाया गया था, उसे खोज निकाला।
पूछताछ में युवक ने अपना नाम धर्मेंद्र सिंह और निवास स्थान भेलूपुर जल संस्थान स्थित सरकारी आवास बताया। धर्मेंद्र के अनुसार, उसके मां-बाप जल संस्थान के कर्मचारी थे। मां की मौत होने पर उसके भाई को नौकरी मिल गई तो वह उसके साथ रहने लगा। बताया कि 16 जुलाई को उसके पुराने परिचित महंगू और जयप्रकाश नाई घर आए।
दोनों ने उससे कहा कि अरुण पाठक के एक कार्यक्रम में गंगा घाट किनारे सिर मुड़वाना है और इसके बदले में एक हजार रुपये मिलेंगे। अरुण को भी वह जानता ही था तो साथ चला गया। घाट पर उसे जैसा कहा गया, वैसा उसने किया। इसके बाद वह वापस घर चला आया। इस संबंध में एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि प्रकरण में छह आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। पुलिस की दो टीमें अरुण पाठक की तलाश कर रही हैं।
परिजन बोले, मानसिक स्थिति नहीं है ठीक, तीन बार गया है नेपाल
धर्मेंद्र के परिजनों ने पुलिस को बताया कि उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। धर्मेंद्र का उपचार भी कराया जा रहा है। वह नेपाल नहीं भारत का ही नागरिक है और उसके पास मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड वगैरह सब कुछ है।
लॉकडाउन से पहले धर्मेंद्र बनारसी साड़ी की एक दुकान में काम करता था। अब कोई काम नहीं कर रहा था और घर में खाली बैठा रहता था। परिजनों ने बताया कि धर्मेंद्र अब तक अपने जीवन में तीन बार नेपाल गया है। हालांकि हम लोगों को यह नहीं पता कि नेपाल में हमारे पूर्वजों का घर कहां है।
पैसे की जरूरत थी साब… परिचित लोगों ने बोला तो चला गया
पुलिस ने धर्मेंद्र से पूछा कि तुम्हें पता है इस घटना को लेकर कितना हंगामा मचा हुआ है। इस पर उसका कहना था कि पैसे की जरूरत थी साब… सब लोग पुराना परिचित है, इसलिए साथ चला गया… हमारे दिमाग की दवा भी तो चलती है ना…। घटना के अगले दिन जब हमने पेपर में सब कुछ पढ़ा तो फिर चुपचाप घर बैठ गया और बाहर नहीं निकला…। उधर, एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि अरुण पाठक के खिलाफ गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।