प्रयागराज. कानपुर शूटआउट के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर के मामले की न्यायिक जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र द्वारा लगाई गई है। पूरे प्रकरण में न्यायपालिका की गरिमा के हनन का दावा किया गया है।
मानवाधिकार का उल्लंघन किया गया। कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका को अंदाज को किया गया। फिलहाल 15 जुलाई को इस प्रकरण पर सुनवाई होगी। ऐसी ही एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय की तरफ से दाखिल की गई है, जिसमें विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की गई है।
बता दें कि, योगी सरकार पहले ही हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत अग्रवाल की अगुवाई में जांच आयोग बना चुके हैं। सोमवार को उन्होंने बिकरु गांव पहुंचकर जांच भी की है। इसके अलावा एसआइटी का भी गठन किया गया है। आयकर, ईडी भी जांच कर रही है।
मुख्य न्यायाधीश को लिखा था पत्र
हाईकोर्ट के अधिवक्ता विशेष राजवंशी ने मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर को पत्र लिखकर कहा है कि विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाते समय 10 जुलाई की सुबह यूपी एसटीएफ ने मार दिया। इस घटना को मुठभेड़ बताया जा रहा है। मांग की गई कि मुख्य न्यायाधीश मामले का स्वत: संज्ञान लेकर राज्य सरकार को घटना की न्यायिक जांच का आदेश दें।
अधिवक्ता विशेष राजवंशी ने पत्र में कहा है कि वह एक अधिवक्ता होने के कारण इस घटना को लेकर हो रही बदनामी तथा अपमान की वजह से चीफ जस्टिस को लिख रहे हैं। इसी प्रकार के दो पत्र हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के महासचिव प्रभाशंकर मिश्र भी मुख्य न्यायाधीश को लिख चुके हैं। कहा गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच से आम जनता का न्यायिक प्रक्रिया में भरोसा कायम रह सकता है