रायबरेली। लगातार जनाधार खो रही कांग्रेस अब अपने ही गढ़ सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। विधायक अदिति सिंह के निलंबन के बाद रायबरेली में कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। इसके पहले 2018 से पार्टी के एक अन्य विधायक राकेश सिंह भी बागी हो चुके हैं और अब वह केवल तकनीकी रूप से कांग्रेस से जुड़े हैं। इन परिस्थितियों में अब कांग्रेस के पास रायबरेली जिले से विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने वाला कोई विधायक नहीं बचा है। पहले ही अमेठी गवां चुकी कांग्रेस के लिए यह मुश्किल का दौर है।
विधानसभा के 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर हरचंदपुर से राकेश सिंह और रायबरेली से अदिति सिंह चुनाव जीती थी। दो साल के भीतर ही इन दोनों का पार्टी से मोहभंग होना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है। वह इसलिए कि रायबरेली कांग्रेस का गढ़ और सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है। उनके चुनाव संचालन की बागडोर भी सीधे प्रियंका वाड्रा के हाथ में रहती है।
जिन पर भरोसा उन्हीं से हुआ मोहभंग
रायबरेली में कांग्रेस ने जिन पर सबसे ज्यादा भरोसा किया उन्हीं ने पार्टी का साथ छोड़ा। अगर पार्टी के दोनों निर्वाचित विधायकों की बात करें तो दोनों मजबूत जनाधार वाले नेता है और इनका कांग्रेस को मजबूत करने में खासा योगदान रहा है। इन दोनों विधायकों की पहुंच सीधे प्रियंका और सोनिया तक थी। कांग्रेस ने भी इनकी अहमियत को समझते हुए महत्वपूर्ण पदों तक नवाजा लेकिन दोनों विधायकों का कांग्रेस से मोहभंग होता चला गया।
हरचंदपुर से विधायक पिछले दो वर्ष से बागी है और रायबरेली की विधायक अदिति सिंह पिछले वर्ष अक्टूबर से समय-समय पर कांग्रेस के ख़िलाफ़ बोलती रही है। अब स्थिति उनके निलंबन तक जा पहुंची। इन दोनों जनाधार वाले नेताओं के जाने से निश्चित रूप से कांग्रेस रायबरेली में कमजोर हुई है और अब पार्टी को ख़ुद को अपने गढ़ में खड़ा करने की जरूरत है।