पटना। बिहार की सियासत में नीतीश कुमार बड़ा नाम है। राजनीति में उनको पलटूराम तक कहा जाता है। उन्होंने कई मौकों पर राजनीतिक फायदे के लिए अपना पाला बदला है।
कभी उनको मोदी पसंद आते हैं तो कभी राहुल गांधी लेकिन वो मौका और फायदा देखकर किसी के साथ जाने का हुनर रखते हैं। उन्होंने इसी साल अपना राजनीतिक फायदा देखकर लालू से अचानक से अपना रिश्ता खत्म कर दिया और फिर मोदी के साथ चले गए।
जिसका फायदा उनको लोकसभा चुनाव में मिला और उनकी पार्टी ने बिहार में अच्छा प्रदर्शन किया। उनको उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के बाद जब मोदी फिर से सत्ता में लौटेंगे तो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जरूर मिलेगा लेकिन फिलहाल केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि ऐसा संभव नहीं है।
दरअसल सरकार ने भले ही बिहार को विशेष राज्या का दर्जा नहीं दिया हो लेकिन उसने मंगलवार को पेश किए गए बजट तके उसने मेहरबानी दिखाते हुए भारी भरकम आर्थिक पैकेज देकर नीतीश कुमार के मुंह पर ताला जरूर लगा दिया है। हालांकि बड़ा सवाल है कि नीतीश कुमार विशेष राज्य का दर्जा मिलने के लिए आंदोलन तक करने को तैयार थे वो आखिर इस पैकेज को लेकर खुश क्यों है, इसको लेकर अब विपक्ष सवाल उठा रहा है।
इस पूरे मामले पर विपक्ष की दलील है कि नीतीश कुमार बीजेपी के दबाव में काम कर रहे हैं और उन्हें जेल जाने का डर सता रहा है। इस वजह केंद्र से मिले आर्थिक पैकेज पर खुश है और बिहार के विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग से अब वो बाहर आ गए है।
आरजेडी विधायक मुकेश रौशन ने कहा कि केंद्र सरकार नीतीश पर दबाव बना रही है। नीतीश को डराने के लिए संजीव हंस जैसे अफसर को टारगेट कर रही है, जिनपर कई आरोप हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी अच्छी तरह जानती है कि नीतीश कुमार दिल्ली में मुश्किल पैदा करेंगे।
वो ऐसा न कर सकें इसलिए संजीव हंस पर ईडी ने छापेमारी की। उन्होंने कहा कि नीतीश जिस दिन मांग पर अड़ेंगे, बीजेपी जेल में डाल देगी। इसलिए वो पीछे हट रहे हैं।