अमित कर्ण
मुंबई। अनुष्का शर्मा के बैनर तले बनी वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ हाल ही में अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम हुई है और आते ही इसका नाम एक विवाद के साथ जुड़ गया है। फिल्म ‘सुई धागा’ में अनुष्का और ‘दम लगा के हईशा’ में आयुष्मान खुराना के साथ काम कर चुके एक्टर महेश शर्मा ने इस वेब सीरीज में कलाकारों को रोल देने के मामले में बड़े पैमाने पर भाई-भतीजावाद किए जाने का आरोप लगाया है। उनके आरोपों की पुष्टि वेटरन एक्टर दर्शन जरीवाला ने भी की है। इस मामले में दोनों ने लंबी बातचीत की।
महेश शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा है कि ‘पाताल लोक’ में विशाल त्यागी का रोल निभाने वाले एक्टर अभिषेक बनर्जी खुद एक कास्टिंग एजेंसी से जुड़े हुए हैं। जिसका नाजायज फायदा उठाते हुए उन्होंने खुद भी गलत तरीके से रोल हासिल किया और अन्य कलाकारों को भी रोल दिलाया। इस बारे में उन्होंने खास बातचीत में अपनी आपबीती बताई।
कई कास्टिंग डायरेक्टर्स पर उंगली उठाई
महेश ने इस वेब शो के अलावा अन्य कई प्रोजेक्ट में भी अभिषेक बनर्जी पर आम कलाकारों के ऑडिशन में अनियमितता बरतने का आरोप लगाया। महेश के मुताबिक कलाकारों के ऑडिशन्स को संबंधित निर्माता-निर्देशकों के पास भेजा ही नहीं जाता है और उनकी जगह पर कास्टिंग एजेंसी के प्रमुख खुद और एजेंसी में काम करने वाले असिस्टेंट को ही रोल दे दिया जाता है। महेश ने इस मामले में अभिषेक बनर्जी के अलावा इंडस्ट्री के बाकी कास्टिंग डायरेक्टर्स मुकेश छाबरा और जोगी पर भी संगीन आरोप लगाए हैं। ये आरोप फिल्मों में आम कलाकारों को रोल ना देने को लेकर ही हैं।
किसी एजेंसी से कास्टिंग के लिए फोन नहीं आता
आपबीती शेयर करते हुए महेश शर्मा ने कहा, ‘तकरीबन जितनी भी बड़ी कास्टिंग एजेंसीज हैं, उन सबके द्वारा हम कलाकारों का शोषण हो रहा है। खुद मुझे यशराज की फिल्मों को छोड़ दें तो बाकी किसी और बड़ी एजेंसी से ऑडिशन के लिए कॉल नहीं आता है। साल-दो साल में एक बार शरत कटारिया फिल्म करते हैं तो मुझे उनकी फिल्म में काम मिलता है। बाकी वक्त मैं छोटे-मोटे बजट की फिल्में ही करता रहता हूं। मुझे किसी बड़े कास्टिंग डायरेक्टर का कॉल नहीं आता है।’
‘आपस में रोल बांट लेते हैं कास्टिंग एजेंसी के लोग’
महेश शर्मा ने आगे कहा, ‘इस तरह का शोषण मेरे अलावा इंडस्ट्री के सैकड़ों कलाकारों के साथ हो रहा है, जिनका कास्टिंग डायरेक्टर्स या मेकर्स के साथ कोई कनेक्शन नहीं है। अभिषेक बनर्जी की कास्टिंग-बे, मुकेश छाबड़ा की कास्टिंग एजेंसी से लेकर बाकी जगहों पर जो उनके असिस्टेंट हैं, वे लोग ही बड़े बजट की फिल्मों और वेब शो में कास्ट हो रहे हैं। खुद अभिषेक बनर्जी ढेर सारी फिल्मों और वेब शो में नजर आ रहे हैं। ‘छपाक’ में दीपिका पादुकोण के स्कूल एज बॉयफ्रेंड का रोल प्ले करने वाले अजय बिष्ट, अभिषेक बनर्जी के यहां असिस्टेंट रहे हैं। उन जैसों की कास्टिंग हो जाती है, मगर हम लोगों को कोई सूचना नहीं दी जाती है।’
‘अब हम ये मनमानी बर्दाश्त नहीं करेंगे’
महेश के मुताबिक, ‘कई बार अगर हम जैसे कलाकारों का ऑडिशन लिया भी जाता है तो आगे डायरेक्टर को झूठ कह दिया जाता है कि फलां एक्टर तो अवेलेबल ही नहीं है। उसका बजट बहुत ज्यादा है उसके नखरे बहुत ज्यादा हैं। इस तरह एक्टर बिरादरी और डायरेक्टर-प्रोड्यूसर के बीच की यह जो कड़ी है कास्टिंग डायरेक्टर्स की, वह एक्टरों को वहां तक पहुंचने ही नहीं दे रही है। पर उनकी मनमानी अब हम लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। हम लोग लोगों ने कास्टिंग डायरेक्टर के करप्शन को उजागर करने की ठान ली है। सोशल मीडिया पर हम लोग ऑलरेडी इस मूवमेंट को शुरू कर चुके हैं।’
12 सालों से हमारे साथ सिर्फ धोखा हो रहा
उन्होंने बताया, ‘पाताल लोक में 10 लोग ऐसे कास्ट हुए हैं, जो लोग कास्टिंग एजेंसी में काम करते हैं। ‘छपाक’ फिल्म में 6 लोग हैं, जो कास्टिंग एजेंसियों में काम करते रहे हैं। इन कास्टिंग एजेंसियों में हम जैसे एक्टर्स पिछले 12 सालों से ऑडिशन देने जाते रहे हैं लेकिन उनकी तरफ से एक ही जवाब आता है कि भाई तुम बहुत अच्छे एक्टर हो, लेकिन पता नहीं क्यों हम तुम्हें काम नहीं दिलवा पा रहे हैं। ‘पाताल लोक’ तो छोड़िए अली अब्बास जफर का एक वेब शो ‘तांडव’ शुरू होने वाला है। उसकी कास्टिंग भी हो गई और हम लोगों को भनक तक नहीं लगी। वहां भी सुनने को मिल रहा है कि कास्टिंग एजेंसी वालों को कास्ट कर लिया गया है।’
जर्शन जरीवाला ने महेश के आरोपों की पुष्टि की
कद्दावर थियेटर एक्टर और फिल्म कलाकार दर्शन जरीवाला भी महेश शर्मा के आरोपों की पुष्टि करते हैं। दर्शन जरीवाला कहते हैं, ‘एथिकली कास्टिंग एजेंसी वालों को एक्टिंग नहीं करनी चाहिए। मैं FTII की एक पोस्ट ग्रेजुएट को जानता हूं जिन्होंने एक्टिंग में हाथ आजमाया मगर उसमें सफलता नहीं मिली तो उन्होंने उस काम को छोड़कर कास्टिंग एजेंसी ज्वाइन की और वे वही कर रही हैं। वे अपने बॉस से मिलने वाली जानकारी के आधार पर खुद ही उसमें एक्ट नहीं कर रही हैं। एक इंग्लिश फिल्म थी जिसमें मैंने गुजराती परिवार के लिए कलाकारों की कास्टिंग करवाई थी, मगर इसे मैंने ट्रेंड नहीं बनने दिया।’
पश्चिमी देशों में भी ऐसा नहीं होता है
आगे उन्होंने बताया, ‘मैंने वेस्ट में भी इस प्रोसेस को देखा है। वहां पर प्रोड्यूसर और डायरेक्टर किसी एक ही कास्टिंग डायरेक्टर या एजेंट से एक्टर्स की मांग नहीं करते, बल्कि सबके पास भेजते हैं ताकि लोकतांत्रिक तरीके से एक्टर का चयन हो सकें। मगर यहां बॉलीवुड में ऐसा नहीं है। यहां जिन कास्टिंग डायरेक्टर्स के पास प्रोजेक्ट आता है, वहां पर नेपोटिज्म शुरू हो जाता है। वे लोग या तो अपने जानने वालों को काम दे देते हैं, या खुद ही उसमें एक्टिंग करने लगते हैं।’
एनएसडी वालों की भी ग्रुप बना हुआ है
दर्शन जरीवाला ने आगे कहा, ‘कास्टिंग डायरेक्टर्स का छोड़िए यहां तो जो एक्टर्स एनएसडी से पास होकर आते हैं, उनका भी आपस में एक छोटा-मोटा कैंप है। वहां अगर कोई एक्टर उतना डिजर्विंग नहीं है तो भी उसे हर तरह की मदद पहुंचाने का काम किया जाता है। इससे यह हो रहा है कि जो एक्टर छोटे शहरों से मुंबई आया है या बड़े शहरों का है और कास्टिंग डायरेक्टर्स के बीच में उसकी पैठ नहीं है या वह उनकी टीम का हिस्सा नहीं है तो उसे फिल्मों या वेब शो की जानकारी तक नहीं मिलती है। उसका संघर्ष सालों चलता रहता है और वह यूं ही बिना काम के मुंबई में पड़ा रहता है।’
सिंटा प्रमुख बोले- कोई हल हो तो बताएं
इस मामले में दैनिक भास्कर ने कलाकारों के सबसे बड़े संगठन सिंटा के प्रमुख सुशांत सिंह से संपर्क किया। तो उन्होंने कहा, ‘कास्टिंग डायरेक्टर्स पर आरोप कई सालों से लगते रहे हैं। मगर इस मुद्दे का कोई हल मुझे बताए तो हम उसे लागू करें। भारत में ऐसी कौन सी जगह है, जहां पर किसी अपने के बेटे या पॉलिटिशियन के भतीजे को जगह नहीं मिलती है। या फिल्मों में ऐसा कौन सा कैंप है, जहां पर किसी अपने को जगह नहीं दी जाती। मैं भी आउटसाइडर ही हूं। कोई हल बता दें तो सिंटा उसे लागू कर दे।’
हमारी सलाह पर काम नहीं हुआ
आगे उन्होंने कहा, ‘अगर हम लोग एजेंसी पर बैन लगवा भी दें तो भी यह कैसे पता चलेगा कि उसने अपने किसी जानने वाले को कास्ट नहीं करवाया है। पिछले 5 सालों से सिंटा में हूं और मुझे इसका कोई प्रैक्टिकल हल नजर नहीं आया। हमने 2015 में ही प्रोड्यूसर्स से कहा था कि कॉस्टिंग की कॉल सिन्टा के द्वारा ली जाए। ऑनलाइन इंफॉर्मेशन डाली जाए, मगर वैसा नहीं हुआ। मैं मानता हूं कि यह शोषण है, भाई भतीजावाद है लेकिन हमारा समाज ऐसे ही चलता आया है।’
हमारी संस्था कितने लोगों पर नजर रखेगी?
‘सिर्फ मेरिट को ही काम मिलेगा, सिफारिश वालों को नहीं। इस समस्या का हल तो समाज की बड़ी-बड़ी संस्थाएं और सरकारें तक नहीं निकाल पाईं तो हम लोग क्या चीज हैं। हमारी संस्था कितने कास्टिंग डायरेक्टर्स पर नजर रखेगी? अकेले मुंबई में 1 दिन में कम से कम 100 जगहों पर शूटिंग होती रहती है। एक शूट में अगर दो एक्टर को भी पकड़ ले तो 200 लोग शूट कर रहे होते हैं। हमारी संस्था किन-किन इन पर नजर रखेगी?’