छत्तीसगढ़। कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को हिलाकर रख दिया है। कोरोना ने पूरे देश में तांडव मचाया है। देश में आज भी हर दिन हजारों लोग कोरोना से अपनी जान गवां रहे हैं। कोरोना महामारी से निजात तभी संभव है जब सभी को वैक्सीन लग जाए। विशेषज्ञ बार-बार कह रहे हैं कि देश में टीकाकरण में तेजी लाया जाए।
एक ओर देश में वैक्सीन की किल्लत है तो वहीं कई जगहों पर लोग वैक्सीन को लेकर डरे हुए हैं। जागरूकता की कमी के चलते लोग वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं। इसका नतीजा है कि कहीं-कहीं तो चेतावनी देकर वैक्सीन लगवाई जा रही है।
ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ में हुआ है। यहां के एक जिले में आदिवासी कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने एक आदेश जारी कर अपने स्टाफ सदस्यों को कोविड-19 का टीका लगवाने को कहा है। अधिकारी ने एक अजीब चेतावनी भी दी है, जिसकी चर्चा हो रही है।
गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में सहायक आयुक्त के एस मसराम ने अपने स्टाफ से कहा कि वे जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लें। यदि कर्मचारी वैक्सीन नहीं लगवाते हैं तो अगले महीने उनका वेतन रोक दिया जायेगा।
जारी आदेश में जिले में आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा संचालित कार्यालयों, आश्रमों (आवासीय विद्यालयों) और छात्रावासों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को कोरोना वैक्सीन लगवाने और अपने कार्यालय में वैक्सीनेशन कार्ड जमा करने को कहा गया है। यानी अगर वे वैक्सीनेशन कार्ड नहीं दिखाते तो उनकी अगले माह की तंख्वाह रोक दी जाएगी।
लोगों ने कहा- ये तानाशाही है
अधिकारी द्वारा 21 मई को जारी आदेश की एक कॉपी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कुछ लोगों ने इसे तानाशाही बताकर नाराजगी जाहिर की तो वहीं कई लोगों ने कहा कि जब स्लॉट ही नहीं मिल रहे तो कैसे वैक्सीन लें।
इसके पहले मसराम ने 20 मई को विभाग में कार्यरत सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के परिवारों के कोविड-19 टीकाकरण का आदेश भी जारी किया था।
‘वैक्सीन ले चुका है 95% स्टाफ’
इस पूरे मामले पर सहायक आयुक्त के एस मसराम ने कहा कि इस आदेश के पीछे का उद्देश्य कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों का शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित करना है।
मसराम ने दावा किया कि आदेश जारी होने के बाद विभाग के 95 प्रतिशत स्टाफ सदस्यों ने वैक्सीन शॉट्स लिए। हालांकि उन्होंने कहा कि हम कोई वेतन नहीं रोकने वाले, हमारा इरादा बस कर्मचारियों को टीका लगवाने का था।