नई दिल्ली। कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में अन्य वायरस के मुकाबले काफी म्यूटेशन हो चुका है, जिससे इसके खिलाफ अभी मौजूद वैक्सीन का प्रभाव कम होने का डर जताया जा रहा है। मॉडेर्ना के चीफ एक्जीक्यूटिव ने डर जताया है कि फिलहाल उपलब्ध कोरोना वायरस के वैक्सीन ओमिक्रॉन वैरिएंट से निपटने में कम प्रभावी साबित हो सकते हैं।
स्टेफाने बेंसेल ने चेतावनी दी है कि इन नए वैरिएंट के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता दे सकने वाली वैक्सीन को बनाने में दवा निर्माता कंपनियों को कई महीनों का समय लग सकता है। बेंसेल ने यह भी कहा कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के बड़ी संख्या में म्यूटेशन होने के चलते नया वैरिएंट ओमिक्रॉन वर्तमान वैक्सीन लगाने के बाद बने एंटीबॉडीज से बचने में कामयाब हो सकता है।
दुनिया भर में नए वैरिएंट का डर
फाइनेंशियल टाइम्स अखबार को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “मुझे लगता है, वैक्सीन उस स्तर पर प्रभावी हो ही नहीं सकती… जैसी यह डेल्टा के खिलाफ थी” बेंसेल ने यह भी बताया कि उनकी कंपनी साल 2022 में 2 से 3 अरब तक वैक्सीन डोज बना सकती है।
हालांकि उन्होंने पूरे के पूरे वैक्सीन प्रोडक्शन को ओमिक्रॉन के खिलाफ मोड़ देने को भी खतरनाक बताया। उनका कहना था कि अब भी कोरोना के अन्य वैरिएंट का प्रसार हो रहा है और ये खतरनाक हो सकते हैं
मॉडेर्ना के चीफ एक्जीक्यूटिव की ओर से कही गई बात के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अभी कोरोना महामारी लंबे समय तक खिंच सकती है। इतना ही नहीं यह नया वैरिएंट लोगों को ज्यादा बीमार करने और हॉस्पिटल में भर्ती होने की वजह भी बन सकता है। दुनियाभर के स्टॉक मार्केट धड़ाम ओमिक्रॉन से महामारी के लंबे खिंचने का डर दुनियाभर के स्टॉक मार्केट पर देखा जा रहा है।
जापान का निक्केई सूचकांक और ज्यादातर यूरोपीय और अमेरिकी स्टॉक मार्केट में इसके चलते गिरावट देखी गई। पिछले दिनों में भारतीय शेयर बाजार में भी जबरदस्त गिरावट आई है। ओमिक्रॉन की खबर के चलते सिर्फ शुक्रवार को ही दुनियाभर के स्टॉक मार्केट को करीब 2 ट्रिलियन डॉलर की पूंजी का नुकसान झेलना पड़ा था।
सोमवार को मार्केट थोड़े संभले लेकिन बेंसल के बयान के बाद एक बार फिर उनमें जबरदस्त अस्थिरता आ गई है। हालांकि लगातार ओमिक्रॉन के खतरे की खबरों के बीच एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के निर्माता ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड ग्रुप के डायरेक्टर ने आशा भरी बात कही है कि इस नए वैरिएंट का प्रभाव इतना ज्यादा नहीं होगा कि महामारी फिर से उठ खड़ी होगी।