सिंगापुर। भारत सरकार ने वोडाफोन ग्रुप पर दो अरब डॉलर के टैक्स का दावा खारिज करने वाले इंटरनेशनल कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ सिंगापुर के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन कोर्ट में चुनौती दी है। टेलीकॉम ग्रुप ने इस रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के सरकार के दावे को इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसका फैसला इसी साल सितंबर में उसके हक में आया।
अदालत ने कहा- दावे से हो रहा द्विपक्षीय निवेश संधि का उल्लंघन
हेग के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्राइब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि वोडाफोन पर भारत सरकार की तरफ से टैक्स देनदारी लादा जाना हॉलैंड और उसके बीच हुई निवेश संधि का उल्लंघन है। ट्राइब्यूनल ने यह भी कहा था कि सरकार वोडाफोन से बकाया मांगना बंद कर दे और मुकदमे में हुए कानूनी खर्चें की आंशिक भरपाई के लिए कंपनी को लगभग 40 करोड़ रुपये का मुआवजा दे।
सरकार मांग रही 12,000 करोड़ का ब्याज, 7,900 करोड़ का जुर्माना
सरकार टैक्स का भुगतान नहीं होने के चलते वोडाफोन से टैक्स के अलावा 12,000 करोड़ रुपये का ब्याज और 7,900 करोड़ रुपये का जुर्माना मांग रही है। उसने टैक्स का दावा 2007 में वोडाफोन के हाथों हचिसन वैंपोआ के इंडियन मोबाइल बिजनेस की खरीदारी के सौदे पर किया है। उसका दावा है कि उस खरीदारी के लिए वोडाफोन पर टैक्स की देनदारी बनती है, लेकिन कंपनी इससे मना करती रही है।
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स के चलते वोडाफोन ने अप्रैल 2014 में किया था मुकदमा
सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में जब इस मुकदमे का फैसला टेलीकॉम कंपनी के हक में दे दिया तो सरकार ने नियमों में ऐसा बदलाव किया कि उसको पहले हुए सौदों पर भी टैक्स लगाने का अधिकार मिल गया। इस पर वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ अप्रैल 2014 में मुकदमा कर दिया।
केयर्न एनर्जी वाला मुकदमा हारी सरकार, 1.2 अरब डॉलर का जुर्माना
रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स क्लेम और कॉन्ट्रैक्ट कैंसलेशन को लेकर केयर्न एनर्जी, डोएचे टेलीकॉम, निसान मोटर कंपनी सहित कई कंपनियों के खिलाफ सरकार के दर्जनों इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन केस चल रहे हैं। भारत सरकार केयर्न एनर्जी के खिलाफ टैक्स विवाद का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट में इसी हफ्ते हारी है, जिसमें उसे कंपनी को मुआवजे और कानूनी खर्च के लिए 1.2 अरब डॉलर देने का आदेश दिया गया है।