सब अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं। प्रधानमंत्री का सपना 2029 में चुनाव जीतने के साथ 2034 में पांचवीं बार प्रधानमंत्री बनने का है और क्या पता उसके बाद बनने का भी हो! सपना देखने से किसी को कोई रोक सका है? शेखचिल्लियों तक को रोका नहीं जा सका, फिर वह तो प्रधानमंत्री हैं! तो उन्हें अपने नंबर बढ़ाने हैं और बहुत जल्दी बढ़ाने हैं और जरूरत से ज्यादा बढ़ाने हैं।
उपराष्ट्रपति जी का सपना राष्ट्रपति बनने का है तो उन्हें भी हर दिन अपने नंबर बढ़ाने हैं और इसमें वह जी और जान, दोनों से लगे हैं। अमित शाह का सपना भी अभी पूरा कहां हुआ? उन्हें लगता है, मैं प्रधानमंत्री मटेरियल हूं तो उन्हें अपने बढ़े हुए नंबर और बढ़ाते जाना है।
उधर योगी जी को मालूम है कि मोदी जी मुझे धकियाने का मौका फिर ढूंढ रहे हैं। एक बार तो वह जोरदार धक्का दे चुके हैं मगर तब कामयाब नहीं हुए थे मगर जरूरी नहीं हर बार वे असफल रहें, इसलिए उन्हें धक्का-मुक्की के बीच मजबूती से खड़े रहना है और प्रधानमंत्री बनकर मोदी को ठेंगा दिखाना है। उन्हें इसके लिए अपने नंबर इतने अधिक बढ़ाने हैं कि मोदी जी से बहुत ज्यादा हो जाएं। आकांक्षा तो राजनाथ सिंह की भी यही है। उनका भी अपना गणित है, उनका ध्यान भी अपने नंबर बढ़ाने पर है। इसी तरह हर पंच- सरपंच, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री सब अपने- अपने स्तर पर अपने- अपने नंबर बढ़ाने में लगे हैं। गुंडे-मवाली इस दौड़ में सबसे आगे हैं। बहुत से क्यू तोड़कर अखिल भारतीय होने के चक्कर में दिल्ली में डेरा डाले पड़े हैं।
हर विधायक और सांसद, मंत्री बनने के फेर में है और हर मंत्री, मुख्यमंत्री बनने की फिराक में है। आईएएस- आईपीएस भी किसी न किसी लाइन में लगे हैं। जज भी लाइन में हैं और वकील भी। जो चीफ जस्टिस रहते हुए सरकार की जमकर सेवा कर चुके हैं, वे भी उम्मीद से हैं। गीतकार, संगीतकार, अभिनेता, लेखक, पत्रकार, प्रोफेसर सबके सब नंबर बढ़ाने में लगे हैं। जो अस्सी की उम्र पार कर चुके हैं, उनकी भी सपने देखने की उम्र अभी गई नहीं है, उनकी नज़र कहीं का राज्यपाल बनने पर है। अनेक जो कांग्रेस में थे, बीजेपी में आकर सेफ हो चुके हैं, अब अपने नंबर बढ़ाकर आगे ही आगे बढ़ाना चाहते हैं। कुछ कदम बढ़ाते- बढ़ाते ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी आगे निकलकर हिमन्त बिस्व सरमा बनकर दिखाना चाहते हैं। संघी से भी ज्यादा संघी बन कर प्रिय से प्रियतर होकर प्रियतम बनने के लिए कदमताल कर रहे हैं।
लगता है, जो भी जिंदा है, और जो कभी न कभी किसी न किसी पद को शोभायमान कर चुका है और जन्मना हिंदू है, उन सबको लगता है कि उनके सपने अभी अधूरे हैं और इन्हें पूरा करने का सही समय अब भारत के हिंदू राष्ट्र बनने पर आ चुका है। जो यह मौका चूक गया, गया हमेशा के लिए गड्ढे में। इन सबके सपने पूरे करने की जिम्मेदारी मोदी जी पर है। और सबको अपने सपने इसी जीवन में पूरे करने हैं क्योंकि इस बार चूके तो चौरासी लाख योनियों का फेरा लगाने के बाद ही फिर से मनुष्य जीवन प्राप्त होगा। तब तक मोदी जी रहेंगे नहीं और संघ भी नहीं रहेगा। नारंगी हिंदू भी नारंगी रहेंगे, सफेद आदि हो जाएंगे।
इसीलिए जो भी पाना है, इसी जन्म में पाना है और जीवन का चूंकि कोई ठिकाना नहीं, सुबह है और शाम को नहीं है। शाम को है और सुबह नहीं है। सांस अभी चल रही है और एक मिनट बाद बंद है। आजकल हार्ट अटैक का चक्कर भी काफी चला हुआ है, जवान- जवान लोग ऊपर चले जा रहे हैं, इसलिए बच्चे से बूढ़े तक, सास से बहू तक, दादी से पोते -पोती तक सब बहुत जल्दी में हैं और सबको लग रहा है कि उन्हें पहले ही बहुत देर हो चुकी है। वे पिछड़ चुके हैं मगर हिम्मत नहीं हारना है। सकारात्मक बने रहना है। नंबर बढ़ाकर शिखर तक पहुंचना है। एवरेस्ट नहीं तो कंचनजंगा छूना है।
और मजा यह है कि जिससे सबको सबकुछ पाने की उम्मीद है, वह भी बहुत जल्दी में है क्योंकि जीवन की तरह पद भी क्षणभंगुर है। कितनी ही सावधानी के बावजूद कब, कौन, कहां से, किस विधि कत्थे के बगैर चूना लगा जाए, इसका कोई भरोसा नहीं। चूहा कब शेर बन जाए और शेर को कब चूहे के पद पर समारोहपूर्वक विराजित कर दे, इसका कुछ पता नहीं। जिसे 2034 के बाद 2039 का चुनाव भी जीतकर फिर से प्रधानमंत्री बनने की प्रबल आशा है, उसे भी जल्दी है और वह भी सबकुछ इसी साल बल्कि इसी महीने सबकुछ पा लेना चाहता है, ताकि पछतावा न रहे कि इतना मिला, फिर भी इतना कम कम क्यों मिला! वह सारी इच्छाएं, सारी तुच्छताएं कर परम संतुष्ट होना चाहता है। वह अभी और आज सबकुछ कर लेना चाहता है। उसकी प्राथमिकता सभी संभावित चूना लगावकों पर सख्त से सख्त निगाह रखते हुए उनके चेहरे पर कालिख पोतकर उन्हें गधे पर बैठाकर पूरे देश में उनका जुलूस निकालना है।
नंबर लगाने के कार्यक्रम को सफलता का शिखर छूने को उत्सुक हर तरह की चित्र- विचित्र मोदीयापा कर रहे हैं। कोई हर घंटे मोदी की माला जप रहा है, कोई उन्हें विष्णु का अवतार बता रहा है। कोई अंबानी को नया ठेका देने की सिफारिश लेकर आया है तो कोई उसे बैंक से कर्ज दिलाने की नई तजवीज लेकर पेश हुआ है। कोई अमेरिका के माल पर टैरिफ घटाने के नये से नये फार्मूले लेकर आया है। सब अपनी अपनी हैसियत के मुताबिक नंबर बढ़ाने का भगीरथ प्रयास कर रहे हैं।
कोई नमाज़ के वक्त मस्जिद में घुसकर नमाजियों पर रंग छिड़ककर उसका फोटो अपलोड कर रहा है। कोई औरंगजेब की कब्र पर मूत्रालय बनाने का ओरिजनल प्रस्ताव लेकर आया है। कोई होली के दिन जुमे की नमाज़ पढ़नेवालों को तिरपाल ओढ़कर जाने की मौलिक सूझ लेकर आया है। किसी ने धर्मांतरण की सज़ा मृत्युदंड देने की पेशकश की है। नंबर बढ़ाने के सबके अपने- अपने फार्मूले हैं और एक से बढ़कर एक हैं। कोई किसी से पीछे नहीं रहना चाहता, कोई किसी को आगे बढ़ता देखना नहीं चाहता। मोदी जी सबकी पीठ थपथपाते हुए अपने नंबर बढ़ाने की एकांत साधना कर रहे हैं।