नई दिल्ली। व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अमेजन, फ्लिपकार्ट, जोमैटो, स्विगी समेत कई ई-कॉमर्स कंपनियों पर दिन-दहाड़े डकैती का आरोप लगाया है। कैट ने कहा कि ये कंपनियां उत्पादों की पूरी जानकारी नहीं देकर लीगल मैट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटी) कानून-2011 और FSSI के निर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं।
व्यापारी संगठन ने केंद्रीय मंत्री को लिखी चिट्ठी
कैट ने आरोप लगाया है कि उत्पाद किस देश में बना है, उसका निर्माता कौन है, कंपनियां इसकी जानकारी नहीं दे रही हैं। संगठन ने इस बाबत वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखी है। इसमें इन ई-कॉमर्स कंपनियों पर कार्रवाई की मांग की है।
कंपनियां नियम तोड़ रहीं हैं
कैट के राष्ट्रीय सचिव बीसी भारतीय और महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा है कि देश में कारोबार कर रही अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित तमाम ई-कॉमर्स कंपनियां उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम- 2020 का भी उल्लंघन कर रही हैं।
कानूनन जरूरी है जानकारी देना
ई-कॉमर्स पोर्टल से बिकने वाले उत्पाद पर उसके बारे में सभी जानकारी (निर्माता का नाम, पता, मूल देश का नाम, वस्तु का नाम, उसकी शुद्ध मात्रा, किस तिथि से पहले उपयोग (यदि लागू हो), अधिकतम खुदरा मूल्य, वस्तु का आकार आदि) लिखना कानूनन जरूरी है। लीगल मैट्रोलॉजी कानून-2011 के नियम-10 में इसका प्रावधान है।
कानून तोड़ने पर सजा का प्रावधान : FSSI ने उत्पादों पर जानकारी लिखने का नियम फरवरी 2017 में लागू किया था। इन नियमों के पालन के लिए 6 महीने की अवधि दी गई थी। ताकि 1 जनवरी-2018 से इसको लागू किया जा सके। लेकिन 3 साल के बाद भी इन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। कानून तोड़ने पर सजा का भी प्रावधान है।
रिटेल कारोबार में ऑनलाइन की हिस्सेदारी 3% : सालाना करीब 33 लाख करोड़ रुपए के भारतीय रिटेल बाजार में ऑनलाइन कारोबार की हिस्सेदारी फिलहाल करीब 3% है। अमेरिकी फाइनेंशियल सर्विस कंपनी मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि साल 2026 तक भारत में ई-कॉमर्स सेक्टर 14.6 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा।