शादी कब करोगी… तानों से तंग लड़की ने बुझा दिया घर का चिराग

नई दिल्ली: कई बार पुलिस के सामने कुछ ऐसे पेचीदा केस आते हैं, जिनमें जुर्म को अंजाम देने वाला उनके सामने या आसपास ही होता है। अक्सर कोई सुराग या सबूत ना मिलने की वजह से वो पुलिस की हथकड़ी से बचा भी रहता है। लेकिन, जुर्म की कहानियों में एक बात अक्सर कही जाती है कि मुजरिम भले ही कितना शातिर क्यों ना हो, कोई ना कोई गलती जरूर करता है। कुछ ऐसा ही इस केस में भी हुआ, जब 18 महीने के एक मासूम बच्चे का पहले अपहरण किया गया और इसके बाद उसकी जान ले ली गई। कातिल थी पड़ोस में रहने वाली एक लड़की, जो इस वारदात के बाद मदद करने के बहाने, हर वक्त पुलिस के साथ खड़ी रही।

तारीख थी 15 जुलाई 2011, सुबह लगभग साढ़े 10 बजे का वक्त और जगह महाराष्ट्र में ठाणे जिले के कल्याण इलाके की एक सोसाइटी। इस सोसाइटी में मनीष नादगे नाम के हार्डवेयर इंजीनियर अपने परिवार के साथ रहते थे। परिवार में पत्नी संगीता, 9 साल की बेटी श्वेता, 18 महीने का बेटा श्रेयश और उनकी सास उषा लांडगे थे। सुबह तैयार होकर मनीष ऑफिस चल गए। संगीता को भी उस दिन एक कंपनी में इंटरव्यू देने के लिए जाना था, इसलिए कुछ देर बाद वो भी घर से निकल आईं। थोड़ी देर बाद संगीता की मां उषा पड़ोसियों के साथ पानी भरने के लिए नीचे गैलरी में आ गईं और श्वेता भी बच्चों के साथ खेलने चली गई। अब श्रेयस घर पर अकेला था।

श्वेता खेलकर लौटी तो देखा कि श्रेयस घर में नहीं है। उसने आवाज देकर नानी को बुलाया और श्रेयस की तलाश होने लगी। आसपास के लोगों को पता चला तो हड़कंप मच गया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष के ठीक सामने के फ्लैट में रहने वाले प्रकाश शिंदे और उनकी बेटी नंदिनी भी मदद के लिए आ गए। तुरंत श्रेयस के मम्मी-पापा को फोन कर बुलाया गया। जब काफी खोजने के बाद भी श्रेयस नहीं मिला तो मनीष पुलिस के पास पहुंचे और बताया कि उनका 18 महीने का बेटा लापता है। मामला एक मासूम की गुमशुदगी का था, इसलिए पुलिस ने भी तुरंत टीम बनाई और उसकी तलाश शुरू कर दी। ये वो वक्त था, जब सोसाइटी में सीसीटीवी कैमरे नहीं हुआ करते थे, इसलिए पुलिस को पूछताछ के जरिए इस केस को सुलझाना था।

सबसे पहले सोसाइटी के लोगों से पूछताछ हुई लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिला। इस बीच नंदिनी ने पुलिस को बताया कि करीब 6 महीने पहले सोसाइटी में एक तांत्रिक आया था और कुछ दिन पहले ही उसने उसे फिर से यहां घूमते हुए देखा। पुलिस को लगा कि ये तंत्र-मंत्र के लिए की गई किडनैपिंग का मामला है। आसपास की सोसाइटी, दुकान, मार्केट, ठेले वालों हर जगह पुलिस ने तांत्रिक के बारे में पूछा, लेकिन कहीं से कुछ भी पता नहीं चला। अब पुलिस को शक हुआ कि कहीं नंदिनी ने उनका ध्यान भटकाने के लिए तो ये तांत्रिक वाली कहानी नहीं सुनाई।

एक दिन बीत गया और अगले दिन पुलिस को पता चला कि नंदिनी अपने घर से एक बड़ा बैग लेकर निकली है। पुलिस को अपना शक पुख्ता होता नजर आया। हालांकि, बिना किसी ठोस सबूत के नंदिनी को हिरासत में नहीं लिया जा सकता था। ऐसे में श्रेयस की मां संगीता से नंदिनी को फोन कराया गया और किसी काम के बहाने पूछा गया कि वो इस वक्त कहां है? फोन पर नंदिनी ने बताया कि उसकी एक सहेली को बैग की जरूरत थी, इसलिए उसे देने वो उसके घर आई है। पुलिस को उसकी बातों पर भरोसा नहीं हुआ और एक पुलिसवाले को उसके बताए पते पर भेज दिया गया। नंदिनी उस पुलिसवाले को लौटते हुए रास्ते में ही मिल गई।

पुलिसवाले ने उससे सवाल-जवाब किए तो उसने वही कहानी सुनाई, जो श्रेयस की मां संगीता को बताई थी। उसकी सहेली का नंबर लेकर फोन किया गया तो उसने भी कहा कि हां उसे बैग की जरूरत थी और इसे देने के लिए नंदिनी उसके पास आई थी। पुलिस को लगा कि उन्होंने बेकार ही नंदिनी के ऊपर शक किया और उससे माफी मांगी। इस बीच पुलिस कंट्रोल रूम में एक फोन आया और बताया गया कि कल्याण में एक डीजल कार शेड के पास सुनसान इलाके में एक बच्चे की लाश मिली है। पुलिस तुरंत श्रेयस के माता-पिता को लेकर वहां पहुंची और लाश की शिनाख्त कराई। वो लाश श्रेयस की ही थी।

दुपट्टे से मिला कातिल का सुराग

पुलिस ने उस जगह को खंगाला तो पीले रंग का एक पुराना दुपट्टा मिला। इस दुपट्टे को श्रेयस के माता-पिता और सोसाइटी के लोगों को दिखाया गया, लेकिन किसी ने उसे नहीं पहचाना। पुलिस लौट आई और श्रेयस का अंतिम संस्कार कर दिया गया। अगले दिन पुलिस इस केस को लेकर माथापच्ची कर ही रही थी कि श्रेयस के माता-पिता थाने पहुंचे और फिर से उन्हें वो दुपट्टा दिखाने के लिए कहा। संगीता ने अब उस दुपट्टे को पहचान लिया और बताया कि कुछ महीने पहले उसने नंदिनी के पास ऐसा ही दुपट्टा देखा था। शक के घेरे में नंदिनी पहले से थी। पुलिस ने बिना एक मिनट गंवाए सर्च वारंट लिया और तलाशी के लिए नंदिनी के घर पहुंच गई।

शादी के तानों से तंग नंदिनी ने लिया बदला

थोड़ी देर की खोजबीन के बाद पुलिस को नंदिनी के घर से दुपट्टे के रंग वाली एक सलवार मिली। पुलिस ने तुरंत नंदिनी को हिरासत में लिया और पूछताछ के लिए थाने ले आई। ये सलवार और दुपट्टा उसके सामने रखकर जब सख्ती से पूछताछ की गई, तो उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पूछताछ में नंदिनी ने पुलिस को बताया कि श्रेयस की नानी उषा अक्सर उसके माता-पिता से कहती थी कि इसकी शादी कब करोगे। उसकी उम्र को लेकर ताने मारती थी। यहां तक कि कई बार उसके कैरेक्टर पर भी सवाल उठाए। इन बातों से नंदिनी तंग आ गई और तय किया कि वो उषा से अपने अपमान का बदला लेगी।

कैसे दिया इस वारदात को अंजाम

उषा सबसे ज्यादा प्यार श्रेयस से करती थी, इसलिए नंदिनी ने उसे मारने का प्लान बनाया। 15 जुलाई को जब सब लोग बाहर थे, तो वो श्रेयस को उठा लाई। उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद किया और गला घोंटकर उसे मार डाला। इसके बाद नंदिनी ने लाश को अपने कमरे में छिपाया और बाहर आकर परिवार के साथ उसे तलाश करने का नाटक करने लगी। अगले दिन उसने श्रेयस की लाश को अपने एक पुराने दुपट्टे में बांधा और बैग में रखकर सोसाइटी से निकल आई। अब एक सुनसान इलाके में उसने लाश को फेंका और बैग लेकर अपनी एक सहेली के घर गई। उसने सहेली को एक झूठी कहानी भी सुनाई और उसे यह कहने के लिए मना लिया कि नंदिनी उसके पास बैग देने के लिए आई थी।

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