लखनऊ। शिवपाल यादव इन दिनों काफी दुखी है। दरअसल शिवपाल यादव किसानों को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। शिवपाल यादव ने नए अध्यादेशों को लेकर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि नए अध्यादेशों के तहत सरकार मंडियों को छीनकर कॉरपोरेट कंपनियों को देना चाहती है।
अधिकांश छोटे जोत के किसानों के पास न तो न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लडऩे की ताकत है और न ही वह इंटरनेट पर अपने उत्पाद का सौदा कर सकते हैं। इससे तो किसान बस अपनी जमीन पर मजदूर बन के रह जाएगा।
उन्होंने ने एक बार मीडिया में बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आज अगर चौधरी चरण सिंह, लोहिया और समाजवादियों की विरासत सत्ता में होती तो अन्नदाताओं के साथ इतना बड़ा छल नहीं हो सकता था। इसके साथ ही शिवपाल यादव किसान संगठनों के आह्वान पर 25 सितंबर को आयोजित होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देने की बात भी कही है।
उन्होंने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि इन अध्यादेशों से किसान अपनी ही जमीन पर मजदूर बन के रह जाएगा। उन्होंने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र सरकार इसके सहारे कृषि का पश्चिमी मॉडल किसानों पर थोपना चाहती है, लेकिन सरकार यह बात भूल जाती है कि हमारे किसानों की तुलना विदेशी किसानों से नहीं हो सकती। हमारे यहां भूमि-जनसंख्या अनुपात पश्चिमी देशों से अलग है।
बता दें कि किसानों को लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति भी काफी तेज हो गई है। जहां एक ओर कांग्रेस लगातार किसानों का मुद्दा उठा रही है तो दूसरी ओर सपा भी लगातार किसानों को लेकर मोदी सरकार पर लगातार निशाना साध रही है। अब शिवपाल यादव ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल किसानों के सहारे यूपी में होने वाले विधान सभा चुनाव इन राजनीतिक दलों की खास नजर है।