शिवसेना ने चूहे से की सचिन पायलट की तुलना, कहा- उनका यह कदम आत्मघाती

मुंबई। राजस्थान में जारी सियासी हलचल के बीच शिवसेना ने बागी तेवर अख्तियार करने वाले सचिन पायलट की तुलना एक चूहे से की है। शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना की संपादकीय में लिखा है, सचिन पायलट का अहंकार राज्य की सरकार को अस्थिर कर रहा है।

राजस्थान सरकार को अस्थिर करने के पीछे भाजपा का हाथ 

इसके लिए शिवसेना ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। सामना ने आगे लिखा है, गलवान में सैनिकों की शहादत को भूलकर भाजपा राजस्थान में खरीद-फरोख्त में लगी है। एक ओर जहां देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। वहीं, भाजपा ने कुछ अलग ही उपद्रव मचाया हुआ है। इस दौरान भाजपा ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिराई।

अपनी जीभ पर लगे खून के पचने के पहले ही राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराकर डकार लेने की स्थिति में भाजपा दिख रही है। लेकिन यह संभव नहीं लगता। भाजपा इसके लिए खुलकर कुछ नहीं कर रही है। लेकिन सरकार को अस्थिर करने के लिए पर्दे के पीछे से उनका राष्ट्रीय कार्य चल ही रहा है।

शिवसेना ने लिखा, ‘मोदी और शाह द्वारा एक विशाल कार्यक्रम लागू करने और एक तूफान खड़ा करने के बावजूद भाजपा को राजस्थान में सत्ता नहीं मिली। लोग कांग्रेस की तरफ थे। बेशक पायलट ने इस जीत के लिए कड़ी मेहनत की, लेकिन जब आज पार्टी मुश्किल में है, तो उन्हें नाव से कूदकर भागनेवाले चूहे की तरह का काम करके खुद को कलंकित नहीं करना चाहिए।

पायलट का यह कदम आत्मघाती 
वहीं सचिन के लिए लिखा है, ‘पायलट की महत्वाकांक्षा राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की है। फिलहाल वे उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे युवा हैं और भविष्य में उनके लिए मौका है, लेकिन गहलोत द्वेष के कारण वे भविष्य में नहीं, बल्कि वर्तमान में ही एक बड़ी लड़ाई लड़कर मुख्यमंत्री पद हासिल करना चाहते हैं।

यह कदम उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। पायलट का अहंकार राजस्थान जैसे राज्य को अस्थिर कर रहा है, लेकिन केंद्रीय सत्ता का साथ मिले बिना ये सब संभव नहीं है। केंद्र सरकार विपक्षी सरकार को अस्थिर करने के सूत्र पर काम कर रही है।

कुछ घरों को विरोधियों के लिए छोड़ देना ही लोकतंत्र की शान है
आखिर में संपादकीय में कहा गया है, ‘देश के सामने कोरोना के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और लद्दाख में चीनी घुसपैठ सहित कई मुद्दे हैं। लद्दाख सीमा पर हमारे 20 सैनिकों का गिरा खून अभी भी ताजा है। इन सभी मुद्दों को सुलझाने की बजाय राजस्थान में कांग्रेस के भीतरी विवाद में टांग डालकर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का काम चल रहा है।

रेगिस्तान में राजनीतिक उपद्रव का तूफान पैदा करके भाजपा क्या हासिल करना चाहती है? इससे संसदीय लोकतंत्र रेगिस्तान में बदल जाएगा। देश में भाजपा की पूरी सत्ता है। कुछ घरों को उन्हें विरोधियों के लिए छोड़ देना चाहिए। इसी में लोकतंत्र की शान है!’

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