लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव जहां राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहे हैं वहीं प्रसपा प्रमुख शिवपाल सिंह यादव उनका विरोध कर रहे हैं। आज अखिलेश यादव ने सपा और रालोद विधायकों के साथ यशवंत सिन्हा के पक्ष में मतदान किया तो चाचा शिवपाल ने कह दिया कि नेताजी को आईएसआई का एजेंट कहने वाले का हम समर्थन नहीं करते।
प्रसपा प्रमुख शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि नेताजी (मुलायम यादव) को आईएसआई एजेंट कहने वाले (विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा) हम उनका कभी समर्थन नहीं कर सकते। सपा के कट्टर नेता, नेताजी के सिद्धांतों का पालन करने वाले ऐसे आरोप लगाने वाले उम्मीदवार का कभी समर्थन नहीं करेंगे।
शिवपाल के इस बयान के बाद यूपी के राजनीतिक गलियारों में सियायत गरमा गई है। बता दें कि मतदान करने से पूर्व अखिलेश यादव ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को वोट डालने की बात कही थी वहीं मतदान करने के बाद सपा प्रमुख ने भाजपा पर जमकर हमला बोला।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने के बाद बाहर निकले अखिलेश यादव ने कहा कि राजद उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के बारे में चाचा शिवपाल सिंह यादव की चिट्ठी भाजपा की साजिश का हिस्सा है। यह इससे साबित होता है कि पहले दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने ट्वीट किया और उसके बाद चाचा का पत्र सामने आया।
यह दिल्ली से चिट्ठी पालिटिक्स की गई है। चाचा से चिट्ठी लिखवाई गई है। शिवपाल सिंह यादव और सपा के गठबंधन सहयोगी सुभासपा द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि जाने वालों को कोई रोक नहीं सकता।
सपा प्रमुख ने कहा कि बीजेपी धर्म के आधार पर नफरत फैलाती है, इसका उदाहरण कानपुर दंगा है। पुलिस प्रशासन अगर समय में निर्णय लेती और इनकी इंटेलिजेंस फेल नहीं होती तो इतना बड़ा दंगा न कानपुर, न प्रयागराज और न कहीं प्रदेश में होता है। अखिलेश ने ये भी कहा कि पुलिस जानबूझकर इसलिए कर रही है क्योंकि नामजद करने में पैसा वसूलने का काम हो रहा है।
कन्नौज और फैजाबाद में धार्मिक स्थलों पर मांस फेंके जाने की घटना का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन घटनाओं के पीछे भाजपा के प्रशिक्षित लोग हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले प्रदेश में सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की ऐसी तमाम कोशिशें भाजपा की ओर से की जाएंगी। अखिलेश ने कहा कि समाजवादियों समाजवादियों के प्रति भाजपा की भाषा खराब रही है। सपा सेक्युलर पालिटिक्स करती है और भाजपा सेक्युलर पालिटिक्स का विरोध करती है।