नई दिल्ली। दिल्ली की केजरीवाल सरकार चाहे कितने भी दावे करे कि वो निर्माण कार्य में लगे प्रत्येक मजदूर को 5000 रुपये की कोरोना राहत राशि दे रही है, लेकिन इसकी हकीकत सरकार के दावों से कोसों दूर है। प्रेमविती, हज़ारा, दोजीराम, ओमप्रकाश, हरिलाल, रामकिशोर और घनश्याम; ये निर्माण कार्य में लगे दिल्ली के कुछ मजदूरों के नाम हैं जो पिछले करीब 20 वर्षों से राजमिस्त्री का काम कर रहे हैं। इनका कहना है कि पांच हजार तो दूर किसी को अब तक एक रुपये भी नहीं मिला है।
दक्षिण दिल्ली के एनटीपीसी गेट संख्या-1 पर सुभाष कैम्प झुग्गी बस्ती में रहने वाले इन मजदूरों ने बताया कि उनकी बस्ती राजमिस्त्रियों की बस्ती के नाम से मशहूर है क्योंकि यहां 200 से अधिक राजमिस्त्री और उनके साथ काम करने वाले अन्य लोगों के घर हैं। इनमें से अधिकतर लोग राजस्थानी मूल के हैं।
अभी तक इनमें से किसी को भी राहत राशि का लाभ नहीं मिला है, न ही आगे मिलने की कोई उम्मीद है। क्योंकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि राहत राशि केवल उन मजदूरों को मिलेगी जिनके पास लेबर कार्ड होगा। हमारी बस्ती में यहां सिर्फ एक मजदूर के पास लेबर कार्ड है, वो भी एक्सपायर हो चुका है।
मजदूरों ने बताया कि चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक ने हमसे फ़ोटो समेत जरूरी कागजात जमा करवाए थे कि चुनाव बाद आपके कंस्ट्रक्शन वर्कर कार्ड बनवा देंगे लेकिन अब तक किसी का भी कार्ड नहीं बना है। सरकारी सहायता के लिए हमसे तीन महीने का कंपनी के काम का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है, आप ही बताइए कि कौन देगा हमें सर्टिफिकेट?
दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा राहत राशि का पैसा पंजीकृत मजदूरों के खातों में डाला गया था और आगे भी पैसा उन्हीं मजदूरों के खातों में डाला जाएगा जिनका पंजीकरण है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किया है। रजिस्ट्रेशन करते समय आवेदक को अपना नाम एवं पूरा पता के साथ ही सेल्फ डिक्लेरेशन का कॉलम भी भरना होगा।
इसके अलावा अपने पते का प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र, बैंक अकाउंट नंबर एवं अन्य जानकारियां भी देनी होंगी। इसके साथ ही 90 दिनों तक काम करने का नियोक्ता या किसी यूनियन से मिला प्रमाण पत्र देना होगा। इसके बाद उनका सत्यापन किया जाएगा। फार्म पर ही लिखा होगा कि उन्हें किस दिन और कहां पर सत्यापन के लिए अपने सभी मूल प्रमाण पत्रों को लेकर पहुंचना है।