नई दिल्ली। पूरे भारत को दहला देने वाले भारतीय संसद पर आतंकी हमले की आज 17वीं बरसी है। 13 दिसंबर, 2001 को कुछ आतंकियों ने देश की संसद भवन पर हमला बोल दिया था। आज पूरा देश उस आतंकी हमले की 17 वीं बरसी मना रहा है। इस हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान सहित कुल 9 लोग शहीद हो गए थे। उस दिन एक सफेद एंबेसडर कार में आए 5 आतंकियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी करके पूरे देश को झकझोर दिया था।
उल्लेखनीय है कि जिस समय आतंकवादियों ने संसद भवन पर हमला किया था संसद के तत्कालीन शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों से संसद भवन भरा हुआ था। इसी बीच अचानक हुए आतंकी हमलों ने पूरे देश को सन्न कर दिया था। 13 दिसंबर 2001 के दिन पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के 5 आतंकियों ने संसद पर हमले की कोशिश की। पूरी तैयारी के साथ आए इन आतंकियों ने 45 मिनट तक ताबड़तोड़ गोलियां चलाई थी।
सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गयी जांच में हमले की जांच में चार मुख्य आरोपियों अफजल गुरू, शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत सिंधु को शामिल पाया गया था। हमले की साजिश रचने वाले मुख्य आरोपी अफजल गुरु को दिल्ली पुलिस ने 15 दिसंबर 2001 को गिरफ्तार किया। संसद पर हमले की साजिश रचने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त, 2005 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। उसने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। दया याचिका को 3 फरवरी, 2013 को राष्ट्रपति ने खारिज की और 9 फरवरी, 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। उल्लेखनीय है कि अफजल गुरू को फांसी जल्द न दिए जाने को उस समय की विपक्षी पार्टी भाजपा ने खूब प्रदर्शन किए थे और सरकार पर आतंकवादियों की समर्थक होने और उन्हे बिरयानी खिलाने का आरोप लगाया था। जिसके बाद दबाव में आयी कांग्रेस को अफजल गुरू को फांसी पर लटकाना पड़ा था।