सौरभ भार्गव
37 वर्षों का रिकार्ड तोड़कर दोबारा उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ का क़द बढ़ता जा रहा है। उनका सख्त एक्शन, भाषण, गवर्नेंस और सियासत भाजपा की ताक़त बढ़ा रही है। केंद्र की राजनीति की दिशा और दिल्ली की कुर्सी तय करने वाले सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक परिपक्वता निखर रही है।
मुख्यमंत्री के रौद्र से लेकर हास्य रूप के रंग दिखाने वाला यूपी का बजट सत्र ख़ास बन गया। सरकार चलाने की कठोर नीति, विकास और उपलब्धियों के गुणों के बखान वाला योगी का धुआंधार भाषण आम और ख़ास चर्चाओं में भी रहा और सुर्खियों में भी। अपने भाषणों में योगी ना सिर्फ एक परिपक्व मुख्यमंत्री नज़र आए बल्कि विपक्षियों-विरोधियों को उनकी ही पिच पर उन्होंने ख़ूब धूल चटाई।
नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव पर ग़जबनाक और अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव पर मेहरबान होकर मुख्यमंत्री ने कुशल राजनेता के तौर पर विरोधी को कमज़ोर करने की दूरदर्शिता दिखाई।शिवपाल के साथ अन्याय नहीं होता तो सपा की कुछ और ही तस्वीर होती। शिवपाल असली समाजवादी हैं। वो अभी भी मेरे संपर्क में हैं। मुख्यमंत्री की हंसी-हंसी की बातों के पीछे भी गंभीर राजनीतिक निहितार्थ की झलक दिखी।
लम्बे सत्र में गंभीर लम्बी चर्चाओं से लोग तनावमुक्त हो इसलिए सदन में बीच-बीच में नेता सदन ने हास्य-परिहास और व्यंग्य बाणों के साथ होली की नजदीकी का अहसास कराया। शिवपाल यादव को ऑफर देने और ‘यूपी में क्या बा, यूपी में बाबा’ जैसे कोमल प्रसंगों से लेकर ‘मिट्टी में मिला देंगे’ जैसा सख्त वक्तव्य विविधता से परिपूर्ण थे। सत्र की चर्चाओं में मुख्यमंत्री के हर बयान को सोशल मीडिया पर देखने वालों की तादाद का एक बड़ा रिकार्ड क़ायम हुआ है।
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रामेश्वर पांडेय कहते हैं कि योगी लम्बे समय तक गोरखपुर से सांसद रहे, अच्छे वक्ता और पुराने राजनेता हैं। यूपी सहित पूरे देश की राजनीति से उनका पुराना रिश्ता रहा कितु यूपी में मुख्यमंत्री बनने के बाद ना सिर्फ सख्त नीतियों वाली गुड गवर्नेस से बल्कि योगी की राजनीतिक सूझबूझ और धारदार भाषणों से भी उनका सियासी क़द बढ़ रहा है।
सदन हो या चुनावी मंच हों, उनके धुआंधार भाषण, विकास और हिदुत्व की छवि से बढ़ती उनकी लोकप्रियता भारतीय जनता पार्टी को तरक्की की सीढ़ियां बनकर ऊंचाइयों पर लिए जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर कहते हैं कि सदन के ऐन वक्त पर प्रयागराज की वारदात योगी सरकार को घेरने का बड़ा मौका थी। विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने सरकार को घेरा भी। कोई और मुख्यमंत्री होता तो शायद नर्वस हो जाता, तनाव में आ जाता।
कितु मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने विवेक से काम लिया। तर्कों और तथ्यों के साथ विपक्ष को उसकी ही पिच पर धूल चटा दी। मुख्यमंत्री ने सपा को याद दिलाया कि प्रयागराज के कथित मास्टरमाइंड अतीक अहमद की राजनीतिक संरक्षक सपा ही है। बिना वक्त गंवाए मुख्यमंत्री ने एक वाक्य (मट्टी में मिला देंगे ) के ज़रिए ना सिर्फ विपक्ष को जवाब दिया बल्कि सदन से ही अपने प्रशासनिक-पुलिसिया तंत्र को भी तुरंत सख्त कार्रवाई के निर्देश भी दे दिए।
बताया जा रहा है कि मिट्टी मे मिला दूंगा भाषा वाला अंश सोशल मीडिया में कई मिलियन लोग देख चुके हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि मीडिया- सोशल मीडिया में तैर रहा ये वाक्य ही माफियाओं के हौसले पस्त करने के लिए काफी है। जिस तरह बुल्डोजर माफियागीरी के खिलाफ एक प्रतीक के रूप में प्रचलित हुआ है ऐसे ही सख्त एक्शन आर्डर के रूप में- ‘मिट्टी में मिला देंगे’ वाक्य ट्रेंड हो रहा है।
यूपी की राजनीति ने देश की राजनीति का रुख तय किया है। मुद्दे दिए हैं। दिल्ली की कुर्सी तय की है। प्रधानमंत्री दिए हैं।? आगामी लोकसभा चुनाव में यूपी ही तीसरी बार जीत के लिए भाजपा का रामबाण बन सकता है। राजनीतिक विश्लेषक अनुपम मिश्र का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की हिन्दुत्व और विकास के मॉडल वाली छवि राष्ट्रीय ख्याति हासिल कर रही है। भाजपा के लिए योगी का चेहरा और लोकप्रियता लोकसभा चुनाव जीतने का रामबाण बन सकता है।