रामपुर। जौहर यूनिवर्सिटी के गेट प्रकरण में सोमवार को सेशन कोर्ट में सुनवाई के दौरान गेट को हटाए जाने के फैसले पर कोई बदलाव नहीं किया है। अब एसडीएम कोर्ट के पूर्व आदेश के तहत गेट को हटाया जाएगा। साल 2019 में एसडीएम सदर की कोर्ट ने 15 दिनों के अंदर जौहर यूनिवर्सिटी का मुख्य गेट हटाने के आदेश दिए थे, जिसे आजम खां की ओर से चुनौती दी गई थी।
जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव अग्रवाल ने इस संबंध में बताया कि कोर्ट ने एसडीएम कोर्ट की ओर से दिए गए गेट को हटाए जाने के आदेशों को यथावत रखा गया है। अब प्रशासन के स्तर से गेट का हटाए जाने की कार्रवाई की जाएगी।
एसडीएम कोर्ट के फैसले को आजम खां ने दी थी चुनौती
उप जिलाधिकारी सदर ने साल 2019 में जौहर यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट को अवैध मानते हुए तोड़ने के आदेश जारी किए थे। आरोप था कि यूनिवर्सिटी के अंदर जो सड़क मौजूद है, वो लोक निर्माण विभाग की है, जिसे गेट लगाकर बंद कर दिया गया है। इस मामले में सांसद आजम खां हाईकोर्ट चले गए थे। लेकिन हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। साथ ही, सेशन कोर्ट जाने की छूट भी दे दी थी। जिसमें अब सेशन कोर्ट ने बहस के बाद फैसला सुना दिया है।
शुरू से ही रहा है विवाद
जौहर यूनिवर्सिटी की जमीनों को लेकर शुरू से ही विवाद रहा है। किसान जमीनें कब्जाने का आरोप लगाते रहे हैं। साल 2019 में 26 किसानों ने मुकदमे भी दर्ज कराए थे। रामपुर जिला प्रशासन ने आजम खां को भू-माफिया भी दर्ज कर दिया था। इतना ही नहीं, चकरोड की जमीनों पर भी कब्जा करने का आरोप था। उसे भी प्रशासन ने यूनिवर्सिटी की दीवारें तुड़वाकर खुलवा दिया था।
बीते साल फरवरी से जेल में हैं आजम
रामपुर एडीजे कोर्ट ने बीते साल फरवरी में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, सरकारी व दूसरे लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जे के दर्जनों मामलों में आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फातमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को जेल भेज दिया था। तजीन को इस साल की शुरुआत में जमानत मिल गई थी, लेकिन आजम और अब्दुल्ला सीतापुर जेल में बंद थे, यहीं दोनों कोरोना की चपेट में आए। आजम की तबीयत खराब होने की वजह से वह डॉक्टरों की देखरेख में हैं।