सपा के खिलाफ ‘अपनों’ ने फूंका बगावत का बिगुल, यूथ लीडर बोले- 2024 में…

लखनऊ। सपा एक तरफ 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी है, तो दूसरी तरफ पार्टी को आए दिन झटके लग रहे हैं। दिग्गज चेहरे लगातार पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। दारा सिंह चौहान से शुरू हुआ ये सिलसिला खत्म नहीं हो रहा है। कई और बड़े नेता इस कतार में बताए जा रहे हैं।

अब सपा की रीढ़ कहे जाने वाले फ्रंटल संगठन के युवा नेता भी पार्टी के खिलाफ बगावत के रास्ते पर चल पड़े हैं। जिन युवा नेताओं ने विपक्ष में रहने के दौरान लाठियां खाईं, आंदोलन किए, जेल भेजे गए। अब वही यूथ विंग के बड़े पदाधिकारी खुद सपा के खिलाफ बिगुल फूंक रहे हैं। पार्टी के फ्रंटल संगठन में अलग-अलग पदों पर रहे यह युवा पदाधिकारी जल्द ही लखनऊ में बड़ी बैठक करने वाले हैं।

अब आपको यूथ लीडर के बारे में पढ़वाते हैं, जिन्होंने बगावत का झंडा उठा लिया है…

खुलकर पार्टी के खिलाफ आए नेता
समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहे प्रदीप तिवारी बगावती हो गए हैं। उनके साथ समाजवादी युवजन सभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे बृजेश यादव भी पार्टी के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। 2017 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले और अखिलेश यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले युवा नेता पीडी तिवारी अब खुलकर पार्टी की नीतियों का विरोध कर रहे हैं।

इन तीनों युवा नेताओं का कहना है कि वो सितंबर के पहले हफ्ते में एक बैठक बुलाने की तैयारी में हैं। इनमें वो सभी पदाधिकारी शामिल होंगे, जो सपा में रहकर खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय से शुरू हो सकता है आंदोलन
इन युवा नेताओं का कहना है कि वो लोकसभा चुनाव से पहले पूरे प्रदेश में घूम-घूमकर युवाओं को यह बताएंगे कि सपा में किस तरह से गरीब परिवार के नौजवानों का शोषण किया जाता है। फिलहाल, ये आंदोलन लखनऊ यूनिवर्सिटी से शुरू हो सकता है। इसके बाद प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और डिग्री कॉलेजों में यह लोग जाएंगे।

PDA पर अखिलेश को घेरा
समाजवादी लोहिया वाहिनी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और हाल ही में पद से हटाए गए प्रदीप तिवारी का कहना है कि अखिलेश यादव जब कन्नौज से पहला चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके पीछे-पीछे हम लोग दौड़ते थे। नौजवान उनके चेहरे में अपना भविष्य देखते थे। लेकिन, आज हम लोगों का मजाक पार्टी में ही उड़ाया जा रहा है, यह गलत बात है।

उन्होंने कहा कि जो PDA का नाम लिया जा रहा है, यह सामान्य वर्ग के लोगों के लिए घातक है। सभी जाति वर्गों को लेकर चलने वाला प्रदेश है। मैं इसलिए उनकी नीतियों के खिलाफ हूं। बहुत जल्द हम बड़ी बैठक करके उत्तर प्रदेश में जो संघर्षशील नेता हैं, उनका साथ लेंगे। हम बहुत बड़ा मूवमेंट तैयार करके इन्हें 80 के मुकाबले जीरो पर लाएंगे।

‘सपा ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा’
बृजेश यादव का कहना है कि मैं गरीब परिवार से निकला हूं। लेकिन, जिस तरह से पार्टी ने संघर्षशील नौजवानों का शोषण किया। सिर्फ उनका उपयोग किया। उनका राजनीतिक इस्तेमाल किया। इसे वो पूरे प्रदेश में बताएंगे।

उनका कहना है कि गरीब परिवारों के लड़कों का शोषण सपा में होता है। अगर, उनकी वफादारी में जरा सी भी कमी हो तो उन्हें सजा दी जाए। लेकिन सपा ने उनकी पीठ में छुरा घोंपने का काम किया। वो परिवारवाद के खिलाफ हैं, इसलिए आंदोलन की तैयारी है। यहां पैमाना है कि विधायक का लड़का होगा तो उसे आगे बढ़ाया जाएगा। जबकि गरीब परिवार से निकले नौजवानों को आगे नहीं बढ़ाया जाता। हो सकता है कि उन्हें जानमाल की धमकी भी दी जाए लेकिन अब वो पीछे हटने वाले नहीं हैं।

‘सपा की नीतियां, उन्हें खुद ही जीरो पर लाएंगी’
2017 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले युवा नेता पीडी तिवारी का कहना है कि वह नेताजी मुलायम सिंह यादव की सियासी यूनिवर्सिटी के विद्यार्थी रहे हैं। नेताजी कहते थे कि दोस्ती का भी एहसास कराना जरूरी है और दुश्मनी का भी।

पीडी तिवारी यह भी कह रहे हैं कि जो सपा की नीतियां हैं, वह खुद ही उन्हें जीरो पर लाने वाली हैं। जब अखिलेश यादव को पार्टी से निकाला गया। तब हम लोगों ने अपने राजनीतिक जीवन को कुर्बान कर दिया। लेकिन, उनका साथ नहीं छोड़ा। लेकिन आज हम युवाओं के 20-20 साल के संघर्ष का मजाक उड़ाया जा रहा है।

पीडी तिवारी का कहना है कि पार्टी के नेता को ये समझना चाहिए ये संघर्ष किराए पर नहीं आता है। कपड़े किराए पर आते हैं। अब उन लोगों ने बगावत का बिगुल फूंक दिया है। ऐसे में हो सकता है कि इनके कुछ गुंडे माफिया उन्हें धमकी दे जान से मारने की कोशिश भी करें, तो प्रदेश के मुख्यमंत्री और DGP से जानमाल की रक्षा की मांग भी कर रहे हैं।

2024 चुनाव में बढ़ सकती हैं मुश्किल
सपा को कहीं न कहीं युवाओं की पार्टी माना जाता रहा है। सपा के लिए यह मशहूर है कि उसकी सबसे बड़ी ताकत उसके यूथ हैं, जो कहीं पर भी संघर्ष करने, लाठी खाने से नहीं हिचकते। लेकिन अगर पार्टी के युवा नेता इस तरीके से बगावत कर रहे हैं तो जाहिर सी बात है कि इसका सीधा असर सपा की तैयारियों और प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर पड़ सकता है।

अब सपा के फ्रंटल संगठन के बारे में आपको बताते हैं…

अखिलेश यादव के रथ यात्रा को सफल बनाने में इन्हीं फ्रंटल संगठनों की भूमिका अहम रही है।
अखिलेश यादव के रथ यात्रा को सफल बनाने में इन्हीं फ्रंटल संगठनों की भूमिका अहम रही है।

अखिलेश का करियर फ्रंटल संगठन से शुरू हुआ
सपा के 4 फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन हैं। खुद मुलायम सिंह यादव ने साल 1992 में सपा के गठन के बाद 4 फ्रंटल संगठनों का गठन किया था। समाजवादी युवजन सभा, समाजवादी लोहिया वाहिनी, मुलायम सिंह यादव यूथ ब्रिगेड और समाजवादी छात्र सभा। मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को सबसे पहले पार्टी में फ्रंटल ऑर्गनाइजेशन से ही जोड़ा था।

सन् 2000-2001 के बीच अखिलेश यादव को इन चारों फ्रंटल संगठन का राष्ट्रीय युवा प्रभारी बनाया गया था। इसके बाद उन्होंने तमाम युवा नेताओं को पार्टी से जोड़ा। उनके साथ मिलकर पार्टी को मजबूत बनाने का काम किया। तमाम ऐसे यूथ लीडर हैं, जो लगभग 27- 28 वर्षों से इन्हीं फ्रंटल संगठन के जरिए पार्टी से जुड़े रहे, लेकिन अब वह साफ तौर पर बगावत पर उतर चुके हैं।

गेम चेंजर रहे हैं फ्रंटल संगठनों के लीडर
एक वक्त था, जब सपा में विधायक सांसद से ज्यादा इन फ्रंटल संगठनों के अध्यक्षों का महत्व हुआ करता था। सरकार बनने में भी इन फ्रंटल संगठनों की बड़ी भूमिका होती थी। अखिलेश यादव ने जब 2007 में क्रांति रथ यात्रा निकाला तो उसमें भी फ्रंटल संगठन के युवा नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। चाहे साइकिल यात्रा हो या फिर 2012 कि वो गेम चेंजर क्रांति रथ यात्रा। उसकी सफलता का श्रेय भी इन युवा संगठनों को जाता है।

जिसके दम पर सपा पूर्ण रूप से अपने दम पर सत्ता में आई। अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनें, लेकिन अब इसी फ्रंटल संगठन में अलग-अलग पदों पर रहे अलग अलग दायित्वों को निभा चुके युवा नेता पार्टी के खिलाफ ना केवल खुलकर बोल रहे हैं, बल्कि ये भी कह रहे हैं 2024 में सपा को वो 80 के मुकाबले 0 पर लेकर आएंगे। इतना ही नहीं, अक्टूबर महीने में राजधानी लखनऊ में इन नेताओं की एक बड़ी जनसभा सपा के खिलाफ करने की भी तैयारी है।

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