नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को नई दिल्ली स्थित सरकारी बंगला खाली करने के आदेश के बाद से ही सत्ता पक्ष और विपक्ष में रस्साकशी जारी है। कांग्रेस इस मुद्दे पर गांधी परिवार के साथ अलग मानक अपनाने का आरोप लगा रही है, जबकि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सरकारी बंगला जारी रखने पर सवाल उठा रही है। ऐसे में सरकार की ओर से सफाई दी गयी है। सरकार का कहना है कि पब्लिक प्रिमाइसेस अमेंडमेंट बिल 2019 के आधार पर प्रियंका गांधी को सरकारी बंगला खाली करने का आदेश दिया है। यह संशोधित कानून सितंबर 2019 में लागू हुआ था।
सरकार की ओर से यह भी कहा गया है कि सरकारी आवास उन लोगों को एक निर्धारित अवधि के लिए दिया जाता है, जो विशेष सार्वजनिक सेवा में कार्यरत हैं। इस नियम के मुताबिक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त लोगों के अलावा किसी दूसरी सुरक्षा मिलने के आधार पर सरकारी आवास आवंटित नहीं किया जा सकता है। प्रियंका गांधी को 1997 से एसपीजी प्रोटेक्टनशन मिल रहा था, लिहाजा उनको सरकारी आवास आवंटित किया गया था। लेकिन अब उन्हें एसपीजी युरक्षा नहीं मिल रही है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को सरकारी आवास दिए जाने पर केन्द्र ने कहा है कि कैबिनेट कमेटी ऑन एकोमोडेशन ने सुरक्षा खतरे के आधार पर अपवाद के रूप में आडवाणी और जोशी को सरकारी आवास देने का फैसला किया है। इस नियम के आधार पर लालकृष्ण आडवाणी आजीवन सरकारी बंगले का इस्तेमाल कर सकते हैं, जबकि मुरली मनोहर जोशी 25 जून 2022 तक सरकारी बंगले के हकदार हैं।
आडवाणी और जोशी को उनकी सुरक्षा को खतरे के आधार पर गृह मंत्रालय के निर्देश पर सरकारी आवास मिले हुए हैं। इन दोनों को जेड प्लस सिक्युरिटी भी मिली हुई है। हालांकि इनको जेड प्लस सिक्युरिटी मिलने की वजह से सरकारी आवास आवंटित नहीं किए गए हैं, बल्कि सुरक्षा को खतरे को देखते हुए ये सरकार आवंटित हुए हैं।
गौरतलब है कि शहरी आवास मंत्रालय ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को लोधी रोड स्थिति सरकारी बंगला एक महीने के भीतर यानी एक अगस्त तक खाली करने को कहा है। साथ ही प्रियंका गांधी से बंगले का 3 लाख 46 हजार रुपये बकाया किराया भी देने को कहा गया है। आवास मंत्रालय ने नोटिस में कहा है कि एसपीजी सुरक्षा नहीं होने के कारण वह नियम के मुताबिक सरकारी बंगले में नहीं रह सकती हैं।
प्रियंका गांधी को सरकार के आदेशानुसार, 1 अगस्त से पहले अपना सरकारी बंगले खाली करना होगा। एक आधिकारिक रिलीज में शहरी आवास मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि अगर वह एक महीने में सरकारी बंगला खाली नहीं करती हैं तो उन्हें जुर्माना देना होगा।