न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा यादव परिवार शोक में है। मुलायम सिंह की पत्नी साधना गुप्ता के निधन से यादव परिवार शोकाकुल है। लेकिन इन सबके बीच यूपी की सियासत में समाजवादी पार्टी में हो रहे बदलाव पर चर्चा हो रही है।
अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच राष्ट्रपति चुनाव में मतदान को लेकर बढ़ी खटास के बीच चर्चा ये भी है कि समाजवादी पार्टी ने संगठनात्मक पुनर्गठन की ओर एक मजबूत कदम बढ़ा दिया है। पार्टी की ओर से शनिवार को एक सूची जारी कर बताया गया कि सदस्यता अभियान को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी इन नेताओं को दी जा रही है।
इस सूची में शामिल नाम को लेकर ही ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पार्टी के ऊपर लगे यादव-मुस्लिम टैग को उतार कर फेंकने की दिशा में ठोस कदम बढ़ा दिया है।
पार्टी पुनर्गठन के लिए पूरी कार्यसमिति को भंग करते हुए नरेश उत्तम पटेल को इस बदलाव से सुरक्षित रखते हुए सपा ने पहले ही ये संकेत दे दिया है कि उत्तर प्रदेश में सियासी रूप से बेहद मजबूत माने जाने वाले कुरमी समाज को साथ लेकर चलने का इरादा पक्का है।
इतिहास गवाह है कि मुलायम सिंह ने ४ अक्तूबर १९९२ को जब पार्टी बनाई थी उन्होंने जनेश्वर मिश्र को उपाध्यक्ष बनाने के साथ ही कपिल देव सिंह और आजम खान को महामंत्री बनाया था। मोहन सिंह पार्टी के प्रवक्ता बने थे जबकि मुलायम सिंह अध्यक्ष बनाए गए।
बेनी प्रसाद वर्मा को पहली बार कोई पद नहीं दिया गया और वे नाराज़ हो गए। बाद में मुलायम सिंह ने उन्हें न केवल मनाया बल्कि लंबे समय तक वे पार्टी में महत्वपूर्ण स्थान पर बने रहे। बेनी प्रसाद के साथ समाजवादी पार्टी के बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच कुर्मी समाज हमेशा से समाजवादी पार्टी के साथ जुड़ा रहा। फिलवक्त प्रदेश अध्यक्ष के पद पर मौजूद नरेश उत्तम इस समाज की नुमाइंदगी करते हैं।
बीजेपी छोड़कर आए स्वामी प्रसाद मौर्य को इस नई टीम प्रमुख जिम्मेदारी देकर सपा ने यह आभास देने की कोशिश की है कि अब मौर्य और उससे जुड़ी उपजातियों को पार्टी साथ लेकर चलना चाहती है।
विधानसभा चुनाव में अपनी सीट हार जाने के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य को विधान परिषद में भेजकर पार्टी ने पहले भी इस बात की पुष्टि कर दी थी कि अब वे टीम अखिलेश के प्रमुख चेहरों में शामिल हैं।
इसी कड़ी एक नया नाम तेजी से आगे बढ़ रहा है वह है इंद्रजीत सरोज। पिछले विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने दलित समाज को साथ लेकर चलने के साथ ही लोहिया और अंबेडकर की विचारधारा की लड़ाई को मजबूत करने का वादा किया था। उस वादे पर अमल करते हुए इंद्रजीत सरोज को टीम में अधिक सक्रिय बनाने की पहल दिखाई पड़ रही है। इन टॉप थ्री नाम के बाद कुरमी समाज से नरेंद्र वर्मा, मुस्लिम प्रतिनिधि महबूब अली के साथ टॉप फाइव का समीकरण तैयार किया गया है। सबसे महत्वपूर्ण है कि इस सूची के टॉप टेन में कोई भी यादव नहीं है।
सदस्यता अभियान के लिए जबावदेह इन नेताओं की सूची में शामिल लोगों की जातियों के आधार पर ही ये आकलन होने लगा है कि अखिलेश यादव न केवल यादव-मुस्लिम टैग को उतार कर फेंक देना चाहते हैं बल्कि सर्वसमाज और खास तौर पर पिछड़े और दलित वर्ग को और भी मजबूती के साथ अपनी पार्टी से जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ा चुके हैं।
पार्टी के संगठन का स्वरूप क्या होगा इसको लेकर अभी तस्वीर साफ नहीं है। लेकिन अखिलेश यादव ने साफ कर दिया है कि वे सदस्यता अभियान को एक स्तर तक पहुंचाने के बाद ही संगठन के नए स्वरूप को सामने लाएंगे।
जाहिर है इस टीम में शामिल लोगों के ऊपर इस बात की जिम्मेदारी है कि वे अपने समाज के अधिक से अधिक लोगों को पार्टी से जोड़े और शायद पार्टी इसी आधार संगठन में उस जाति का प्रतिनिधित्व तय करेगी।
समाजवादी पार्टी ने सदस्यता अभियान को गतिशील बनाने के लिए इस टीम का गठन किया है
- नरेश उत्तम पटेल, प्रदेश अध्यक्ष
- स्वामी प्रसाद मौर्य, एमएलसी
- इंद्रजीत सरोज, विधायक
- रामअचल राजभर, विधायक
- नरेंद्र वर्मा, पूर्व मंत्री
- महबूब अली, विधायक
- दयाराम पाल, पूर्व मंत्री
- किरनपाल कश्यप, पूर्व मंत्री
- अरविंद सिंह गोप, पूर्व मंत्री
- अरविंद कुमार सिंह, पूर्व एमएलसी
- संजय लाठर, पूर्व नेता प्रतिपक्ष, विधान परिषद
- शशांक यादव, पूर्व एमएलसी
- मिठाई लाल भारती, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, समाजवादी बाबासाहब अंबेडकर वाहिनी
- रामआसरे विश्वकर्मा, पूर्व मंत्री
- राजेश कुशवाहा, पूर्व जिलाध्यक्ष गाजीपुर
- केके श्रीवास्तव, सपा 19-विक्रमादित्य मार्ग
- डॉ. हरिश्चंद, सपा 19-विक्रमादित्य मार्ग
- प्रो. बी. पांडेय, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सपा शिक्षक प्रकोष्ठ