साइबर अपराध का नया जरिया है डिजिटल अरेस्ट

डिजिटलाइजेशन के जमाने में साइबर अपराधी रोजाना नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को साइबर ठगी का शिकार कर रहे है। साइबर अपराधी लोगों को डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाकर देश के विभिन्न स्थानो पर साइबर ठगी कर रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट एक नवीनतम साइबर अपराध है जिसमें ठग पुलिस, सीबीआई या कस्टम अधिकारी बनकर आपको कॉल करते हैं और डरा-धमकाकर घर पर ही बंधक बना लेते हैं। वे आपको बताते हैं कि आप किसी अपराध में शामिल हैं और आपको गिरफ्तार किया जाएगा। फिर वे आपको पैसे देने के लिए मजबूर करते हैं ताकि आपकी गिरफ्तारी से बचा जा सके।

डिजिटल अरेस्ट का इतिहास:

डिजिटल अरेस्ट एक अपेक्षाकृत नया शब्द है, जो तकनीक के बढ़ते उपयोग और साइबर अपराधों में वृद्धि के साथ उभरा है। हालांकि, इसके मूल में छिपी तकनीकें और धोखे बहुत पुरानी हैं। धोखाधड़ी का इतिहास मानव सभ्यता जितना पुराना है। लोग हमेशा से धन या अन्य लाभ प्राप्त करने के लिए दूसरों को धोखा देते रहे हैं। तकनीक के विकास के साथ धोखे के तरीके भी बदलते गए। पहले लोग व्यक्तिगत रूप से संपर्क करके धोखा देते थे, फिर टेलीफोन का उपयोग हुआ, और अब इंटरनेट और मोबाइल फोन का उपयोग किया जा रहा है।

इंटरनेट के आगमन के साथ साइबर अपराधों में तेजी से वृद्धि हुई। हैकिंग, फिशिंग, और रैंसमवेयर जैसे अपराध आम हो गए। डिजिटल अरेस्ट का मूल टेलीमार्केटिंग धोखे में देखा जा सकता है। जहां ठग लोगों को फोन करके विभिन्न उत्पादों या सेवाओं को बेचने की कोशिश करते थे, वहीं धीरे-धीरे उन्होंने धमकी और डराने की रणनीति अपना ली। इंटरनेट के व्यापक उपयोग के साथ, साइबर अपराध भी बढ़ गए। धोखेबाजों ने लोगों को लुभाने के नए तरीके खोजने शुरू कर दिए। कोविड-19 महामारी के दौरान, जब लोग अधिक ऑनलाइन थे, डिजिटल अरेस्ट जैसे धोखे और भी आम हो गए।

डिजिटल अरेस्ट इन साइबर अपराधों का ही एक रूप है। इसमें साइबर अपराधी पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारी बनकर लोगों को डरा-धमकाकर पैसा ऐंठते हैं। यह धोखा उन लोगों को निशाना बनाता है जो तकनीक से पूरी तरह परिचित नहीं हैं।

डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?

डिजिटल अरेस्ट के शुरुआती दिनों में साइबर अपराधी ईमेल या टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से संपर्क करते थे। बाद में सोशल मीडिया का उपयोग करके लोगों को निशाना बनाया जाने लगा। अब साइबर अपराधी वॉयस कॉलिंग का उपयोग करके लोगों को डरा-धमकाते हैं। समय के साथ डिजिटल अरेस्ट के तरीके अधिक परिष्कृत होते जा रहे हैं। साइबर अपराधी अब अधिक यथार्थवादी लगने वाले कॉल और वीडियो का उपयोग करते हैं।

आपको अक्सर किसी अज्ञात नंबर से कॉल आएगा जिसमें खुद को पुलिस, सीबीआई या कस्टम अधिकारी बताया जाएगा। वे आपको डरा-धमकाकर बताएंगे कि आप किसी गंभीर अपराध में शामिल हैं और आपके खिलाफ वारंट जारी हो चुका है। वे आपसे आपका बैंक खाता नंबर, पासवर्ड और अन्य गोपनीय जानकारी मांगेंगे। पैसे देने के लिए मजबूर करना: वे आपको पैसे देने के लिए मजबूर करेंगे ताकि आपकी गिरफ्तारी से बचा जा सके।

डिजिटल अरेस्ट क्यों खतरनाक है?

इस धोखे में आप अपना सारा पैसा गंवा सकते हैं। इस तरह के धोखे से आप मानसिक रूप से बहुत परेशान हो सकते हैं। इस धोखे में आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी हो सकती है जिसका उपयोग अन्य अपराधों में किया जा सकता है।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

अगर कोई अज्ञात नंबर से कॉल आता है तो उसे उठाएं नहीं। पुलिस कभी भी फोन पर पैसे नहीं मांगती ! अगर कोई खुद को पुलिस अधिकारी बताकर पैसे मांगता है तो समझ जाएं कि यह धोखा है। अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे बैंक खाता नंबर, पासवर्ड आदि किसी को न बताएं। सावधान रहें और संदेह होने पर किसी विश्वसनीय व्यक्ति से सलाह लें: अगर आपको कोई संदेह होता है तो किसी विश्वसनीय व्यक्ति जैसे परिवार के सदस्य, दोस्त या पुलिस से सलाह लें। पुलिस कभी भी फोन पर पैसे नहीं मांगती। अगर आपको कोई ऐसा कॉल आता है तो तुरंत पुलिस में शिकायत करें।

निष्कर्ष:

डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा धोखा है जो लगातार विकसित हो रहा है। साइबर अपराधी नए-नए तरीके खोज रहे हैं लोगों को धोखा देने के लिए। इसलिए, हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अज्ञात नंबर से आने वाले कॉल पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

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