साबरमती में अमृत महोत्सव: मोदी बोले- बापू की कर्मस्थली पर इतिहास बनते देख रहे

अहमदाबाद। केंद्र सरकार ने 12 मार्च 2021 से 15 अगस्त 2022 तक ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ मनाने की घोषणा की है। इसी सिलसिले में आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह के 91 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में अमृत महोत्सव की शुरुआत करते हुए इसकी वेबसाइट लॉन्च की। उन्होंने दांडी मार्च यात्रा को भी हरी झंडी दिखाई। इस यात्रा में शामिल 81 लोग 386 किमी की यात्रा कर 5 अप्रैल को दांडी पहुंचेंगे।

मोदी ने अपने संबोधन में उन्होंने जवाहरलाल नेहरू का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘1857 का स्वतंत्रता संग्राम, महात्मा गांधी का विदेश से लौटना, लोकमान्य का पूर्ण स्वराज्य का आह्वान, नेता जी का आजाद हिंद फौज का नारा दिल्ली चलो कोई नहीं भूल सकता। ऐसे कितने ही सेनानी हैं जिनके प्रति देश हर रोज कृतज्ञता व्यक्त करता है। अंग्रेजों के सामने गर्जना करने वाली रानी लक्ष्मी बाई हो, पंडित नेहरू हों, सरदार पटेल हों, ऐसे अनगिनत जननायक आजादी के आंदोलन के पथ प्रदर्शक रहे।’

मोदी के भाषण की खास बातें

हमारे यहां नमक का मतलब- वफादारी
मोदी ने कहा कि हमारे यहां नमक को कभी उसकी कीमत से नहीं आंका गया। हमारे यहां नमक का मतलब है ईमानदारी, विश्वास, वफादारी। हम आज भी कहते हैं कि हमने देश का नमक खाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि नमक हमारे यहां श्रम और समानता का प्रतीक है। यह उस समय भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक था। अंग्रेजों ने भारत की इस आत्मनिर्भरता पर भी चोट की। गांधी जी ने देश के पुराने दर्द को समझा। जन-जन से जुड़ी उस नब्ज को पकड़ा और देखते ही देखते यह संग्राम हर एक भारतीय का संकल्प बन गया।

वैक्सीन निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का पूरी दुनिया को लाभ
मोदी ने कहा कि नेताजी बोस ने कहा था कि भारत की आजादी की लड़ाई सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध नहीं, वैश्विक साम्राज्य के विरुद्ध है। इसके बाद बहुत ही कम समय में साम्राज्यवाद का दायरा सिमट गया। यह पूरी मानवता को उम्मीद जगाने वाली है। कोरानाकाल में यह प्रत्यक्ष सिद्ध भी हो रहा है। वैक्सीन निर्माण में भारत की आत्मनिर्भरता का पूरी दुनिया को लाभ मिल रहा है। हमने दुख किसी को नहीं दिया, लेकिन दूसरों का दुख दूर करने में खुद को खपा रहे हैं। यह भारत का सास्वत दर्शन है।

आजादी की कहानियों को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘स्कूल कॉलेज से आग्रह करूंगा कि वे 75 घटनाएं तलाशें कि कौन लोग थे जो कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। जिनका इंटरेस्ट नाटक में है वे नाटक लिखें। शुरू में यह सब हस्तलिखित हो, फिर डिजिटल करें। यह काम 15 अगस्त से पूरा कर लिया जाए। कला जगत, फिल्म जगत से भी आग्रह करूंगा कि कितनी ही आजादी की कहानियां बिखरी पड़ी हैं उन्हें हमारी आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं। मुझे विश्वास है कि 130 करोड़ देशवासी इस महोत्सव से जुड़ेंगे तो भारत बड़े से बड़े लक्ष्य को हासिल करके रहेगा।’

5 स्तम्भ आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘Freedom Struggle, Ideas at 75, Achievements at 75, Actions at 75 और Resolves at 75…ये पांचों स्तम्भ आजादी की लड़ाई के साथ-साथ आजाद भारत के सपनों और कर्तव्यों को देश के सामने रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देंगे।’

भारत के पास गर्व करने के लिए अथाह भंडार
मोदी ने कहा कि किसी राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है जब वह अपने अतीत के अनुभवों और विरासत के गर्भ से पल-पल जुड़ा रहता है। भारत के पास तो गर्व करने के लिए अथाह भंडार है। चेतनामय सांस्कृतिक विरासत है। यह अवसर अमृत के रूप में वर्तमान पीढ़ी को प्राप्त होगा। एक ऐसा अमृत जो देश के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित करेगा।

दांडी यात्रा ने भारत के नजरिए को पूरी दुनिया तक पहुंचाया
मोदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव यानी आजादी की ऊर्जा का अमृत। स्वाधीनता सेनानियों से प्रेरणाओं का अवसर, नई ऊर्जाओं और संकल्पों का उत्सव। यह राष्ट्र के जागरण का उत्सव है। स्वराज के सपनों को पूरा करने का अवसर है। वैश्विक शांति को बनाए रखने का महोत्सव है। आज एक यात्रा भी शुरू होने जा रही है। यह संयोग ही है कि दांडी यात्रा का प्रभाव ऐसा है कि देश आज भी आगे बढ़ रहा है। गांधी जी की इस एक यात्रा ने भारत के नजरिए को पूरी दुनिया तक पहुंचा दिया।

अमृत महोत्सव का उद्देश्य क्या है?
अगले साल देश की आजादी के 75 साल पूरे हो जाएंगे। इसी क्रम में 75 हफ्ते पहले शुक्रवार से अमृत महोत्सव शुरू हो रहा है। कार्यक्रम में 15 अगस्त 2022 तक देश के 75 स्थानों पर कई तरह के आयोजन होंगे। इसमें युवा पीढ़ी को 1857 से 1947 के बीच चले स्वतंत्रता संग्राम की जानकारी देने, आजादी के 75 वर्ष में देश के विकास और आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक विश्वगुरु भारत की तस्वीर दिखाई जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया है। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को शामिल किया गया है।

क्या है दांडी मार्च या नमक सत्याग्रह?
नमक सत्याग्रह या दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। इस आंदोलन ने अंग्रेजी हुकूमत को हिलाकर रख दिया था। महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी जिले के दांडी गांव के लिए पैदल कूच किया था। रास्ते में दो सत्याग्रही और शामिल हो गए थे।

महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी जिले के दांडी गांव के लिए पैदल कूच किया था।
महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को 78 सत्याग्रहियों के साथ अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नवसारी जिले के दांडी गांव के लिए पैदल कूच किया था।

अंग्रेजों के नमक कानून के विरोध में गांधीजी ने दांडी मार्च कर 6 अप्रैल 1930 को सांकेतिक रूप से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून को तोड़ा था, जिसके बाद उन्हें सत्याग्रहियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया था। इस आंदोलन ने अंग्रेजों की नींद उड़ा दी थी।

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