नई दिल्ली। पाकिस्तान की जेल में जासूसी के आरोप में बंद भारतीय नौसेना के पूर्व ऑफिसर कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए भारत सरकार ने पाकिस्तान से ”बैक डोर” बातचीत की थी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने खुद पाकिस्तान में समकक्ष नासिर खान जांजुआ से इसके लिए बात की थी। हालांकि यह बातचीत बेनतीजा रही। यह खुलासा पूर्व सॉलिसिटर जनरल और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) में भारत की तरफ से कुलभूषण की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने किया। शनिवार को वह अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन संवाद में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लंदन से जुड़े थे।
मानवीय आधार पर रिहाई की बात हुई थी
एक सवाल के जवाब में साल्वे ने कहा, ”हमें उम्मीद थी कि पाकिस्तान से ”बैक डोर” बातचीत करने पर हम उन्हें मना लेंगे। हम उन्हें मानवीय आधार पर जाधव की रिहाई की बात कर रहे थे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने कुलभूषण का मामला अपनी प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है।”
फिर से आईसीजे जाने की तैयारी
साल्वे ने कहा ”पाकिस्तान ने इस बारे अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। एफआईआर की कॉपी और चार्जशीट की कॉपी भी नहीं दी गई है। बार-बार कहने के बाद भी उनकी (पाकिस्तान) की तरफ से कोई सबूत नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में अब हम विचार कर रहे हैं कि क्या हमें फिर से आईसीजे जाना चाहिए या नहीं।”
आईसीजे ने फांसी पर पुनर्विचार करने को कहा था
कुलभूषण को मार्च 2016 में पाकिस्तान ने गिरफ्तार किया। 2017 में उन्हें फांसी की सजा दे दी। इस बीच सुनवाई में कुलभूषण को अपना पक्ष रखने के लिए कोई काउंसलर भी नहीं दिया गया। इसके खिलाफ भारत ने 2017 में ही अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। आईसीजे ने जुलाई 2019 में पाकिस्तान को जाधव को फांसी न देने और सजा पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया। तब से अब तक पाकिस्तान ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।