साहब ये गुपचुप फोन पर बात करती है, मुझसे झगड़ती है…मोबाइल ने बढ़ा दिए घरों में झगड़े

लखनऊ। साहब ये गुपचुप फोन पर बात करती हैं…मैं घर पर जाता तो साहब मेरे घरवालों की बातों को लेकर मुझसे झगड़ा करती हैं। ये साहब मेरी नहीं सुनते। अपने घरवालों की बातों में रहते हैं। इस तरह की छोंटी बातें झगड़े की जड़ में निकली हैं। बातें छोटी, लेकिन बढ़ती गईं। भरोसे की डोर कमजोर पड़ती गई। एक-दूसरे की बातें समझने और मानने को तैयार नहीं। रिश्ते टूटने की नौबत आ गई। विवाद में मोबाइल की बातें भी आग में घी का काम करने लगीं।

यह नजारे परिवार परामर्श केंद्र पर साप्ताहिक सुनवाई में दिखे। केंद्र के परामर्श सदस्यों ने एक-एक कर पति-पत्नी के जोड़ों को सामने बैठाया। पहले शिकायत दर्ज करने वाले की सुनी। फिर दूसरे की बातें विस्तार से जानीं। पक्ष सुनने के दौरान कभी कभी दोनों ओर से तल्ख बातें होने लगीं तो उन्हें शांति से अपनी बात कहने के लिए कहा गया। फिर सुर बदले और बातों में नरमी हो गई। सोरों क्षेत्र के एक गांव के दंपति अपनी शिकायतें पर सुनवाई के लिए परामर्श केंद्र पर आए।

केंद्र पर परामर्श सदस्य डा. लायक अली, मनोज शर्मा, अशोक गौड, एसआई यशोदा रानी, सुधा, कविता, सोनी यादव, देवेंद्र तिवारी ने पूरे प्रकरण को सुना। शिकायत की गई कि, पत्नी ने कहा कि, पति झगड़ा करते हैं और मारपीट कर देते हैं और नशा करने के लिए रोकते हैं तो और झगड़ा करते हैं। इस पर सदस्यों ने पति को समझाया और व्यवहार में बदलाव लाने के लिए कहा। जिस पर पति मान गया और इसके बाद दोनों साथ रहने पर राजी हो गए।

एक मामला अमांपुर क्षेत्र के गांव की पत्नी और आगरा जनपद के गांव से आए पति के बीच झगड़े का सामने आया। यहां झगड़े की झगड़े की जड़ में मोबाइल पर बातें करने से उपजे शक को लेकर झगड़ा बढ़ने का कारण सामने आया। भ्रम की स्थिति को दूर कर दोनों को समझाया। तब पति-पत्नी एक दूसरे के साथ रहने के लिए सहमत हो गये।

परामर्श केन्द्र के सदस्य अशोक गौड़ का कहना है कि छोटी-छोटी बातों को लेकर पति-पत्नी के बीच विवाद होने के मामले में सामने आते हैं, जिसमें शक के आधार पर एक दूसरे की शिकायतें बढ़ने से रिश्ते की डोर कमजोर पड़ जाती है, सभी सदस्य मिलकर पीड़ितों को समझाते हैं, जिससे दंपति के बीच समझौता होने पर एक दूसरे के साथ अच्छे से रहने के लिए तैयार हो गये।

महिला थाने के इंस्पेक्टर नीतू यादव का कहना है कि सदस्यों ने 11 प्रकरणों पर सुनवाई की। पांच प्रकरणों में आपसी सहमति नहीं बनने पर पत्रावली बंद कर दी गईं। जबकि तीन प्रकरणों में सुनवाई के लिए अग्रिम तिथि दी गई है। वहीं सोरों, सुन्नगढ़ी और अमांपुर से आए पीड़ित पति-पत्नी के बीच समझौता कराया गया।

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