नई दिल्ली। पंजाब में गुटबाजी के चलते विधानसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाली कांग्रेस अब भी सबक लेती नहीं दिख रही है। इस हार के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे नवजोत सिंह सिद्धू लगातार सक्रिय हैं और नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। वह एक बार फिर से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए दावा ठोक रहे हैं, जबकि एक लॉबी उनके खिलाफ सक्रिय है।
फिलहाल हाईकमान पंजाब को लेकर पसोपेश में है और किसी भी फैसले से पहले गहरे मंथन का दौर चल रहा है। इसकी वजह यह है कि हाईकमान चुनाव से पहले वाली स्थिति नहीं चाहता, जब नेताप आपस में ही टांग खिंचाई करते रहे और नतीजे में पार्टी को बुरी हार झेलनी पड़ी।
सोनिया गांधी ने हाल ही में पंजाब कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात की थी और कहा जा रहा है कि कुछ दिनों ही राज्य में अध्यक्ष को लेकर फैसला हो सकता है। इस बीच चर्चा है कि कांग्रेस सिख या फिर दलित की बजाय हिंदू नेता या फिर सिद्धू से अलग किसी जाट सिख पर दांव चल सकती है।
इसकी वजह यह है कि चुनाव से पहले पार्टी ने दलित लीडर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया था। इसके अलावा जाट सिख नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन इसका फायदा पार्टी को नहीं मिल सका था और उसे महज 17 सीटों पर ही संतोष करना पड़ गया।
प्रताप सिंह बाजवा और रंधावा का भी चल रहा है नाम
पंजाब कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि पूर्व में अध्यक्ष रहे प्रताप सिंह बाजवा और डिप्टी सीएम रह चुके सिखजिंदर सिंह रंधावा के नाम चल रहे हैं। लेकिन कई नेता ऐसे हैं, जिनकी राय है कि इस बार कमान किसी हिंदू नेता को मिलनी चाहिए। एक नेता ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के लिए नेता का चुनाव करना हाईकमान का ही अधिकार है, लेकिन किसी ऐसे नेता को कमान मिलनी चाहिए, जो सभी समुदायों को साथ ले चले।
ऐसा नेता होना चाहिए, जो जमीन से जुड़ा हो और उसका दिल्ली से भी अच्छा तालमेल हो। प्रदेश अध्यक्ष की रेस में लुधियाना के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और पूर्व मंत्री अमरिंदर राजा वारिंग का भी नाम चल रहा है। हालांकि दोनों ही जाट सिख नेता हैं।
रवनीत बिट्टू ने पीएम मोदी से मुलाकात कर बढ़ा दिया दबाव!
एक तरफ रवनीत सिंह बिट्टू का नाम प्रदेश अध्यक्ष की रेस में चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ पीएम नरेंद्र मोदी से उन्होंने मुलाकात कर कयासों को तेज कर दिया है। दरअसल माना जा रहा है कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से इसलिए मुलाकात की थी ताकि अध्यक्ष पद के लिए हाईकमान पर दबाव बढ़ाया जा सके।
पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि बिट्टू ने पीएम मोदी से मुलाकात कर यह बताने का प्रयास किया है कि यदि पार्टी उन्हें अध्यक्ष नहीं बनाती है तो उन्होंने अपने लिए सभी विकल्पों को खुला रखा है।