सीतापुर। जिला कारागार के बंदी ने संदिग्ध हालात में कीटनाशक की दवा पी ली। खबर लगते ही जेल अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन-फानन में उसे जिला अस्पताल लाया गया। घटना बुधवार की है।विचारधीन बंदी नरेंद्र को बंदी रक्षक अनिल ने बुधवार दिन में 3.45 बजे जिला अस्पताल इमरजेंसी में भर्ती कराया था। प्रारंभिक इलाज के बाद डॉक्टरों ने उसे मेडिकल वार्ड-ए में शिफ्ट कर दिया था। गुरुवार को उसकी हालत में सुधार आने पर अस्पताल से उसकी छुट्टी हो गई थी।
यहीं पर बंदी नरेंद्र ने पत्रकारों को बताया कि बुधवार सुबह से दोपहर तक सर्किल ऑफीसर ने उसे तीन बार लोहे की सरिया से मारा। इसी में विवश होकर उसने जहर पीकर आत्महत्या करने का निर्णय लिया। हालांकि बंदी नरेंद्र के इन सभी आरोपों को जेल अफसरों ने खारिज कर दिया है। जेल अधिकारियों का कहना है बंदी नरेंद्र बंदियों से विवाद करता रहता है। यह लूट, डकैती, चोरी जैसे गंभीर मामलों का मुल्जिम है। इस पर करीब 12 मुकदमे हैं।
जिला अस्पताल में भर्ती होने के वक्त बंदी नरेंद्र ने पत्रकारों को यह भी बताया कि जेल में सर्किल ऑफीसर बंदी से 600 रुपये बैठाई (काम से बरी) के लेते हैं। न दो तो काम करो, नहीं तो पीटते हैं। उसने यह भी बताया, जेल अधिकारी शिकायत की अनदेखी करते हैं। नरेंद्र चोरी के मामले में 2018 से जिला कारागार में निरुद्ध है।
जेल अधीक्षक डीसी मिश्र का कहना है कि बंदी नरेंद्र पर 10-12 मुकदमे हैं। वह हमेशा बदमाशी करता रहता है। बुधवार को हम हाईकोर्ट में थे। एक सप्ताह पहले कुछ बंदी अलाव ताप रहे थे। वहां इस नरेंद्र ने पानी डालकर बुझा दिया था। बुधवार को बाग में आलू फसल पर कीटनाशक का छिड़काव चल रहा था, उसी में उसने खाली शीशी में पानी डालकर पी लिया। रही बात आरोपों की तो यह दो साल से जेल में है, सभी आरोप उसे कल ही याद आए।