नई दिल्ली। एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने और एम. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायाधीश संजय कृष्ण और के.एम.जोसेफ की पीठ ने कहा कि हम मामले को देखेंगे क्योंकि वकील प्रशात भूषण इस पर त्वरित सुनवाई चाह रहे हैं। आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए एनजीओ ‘कॉमन कॉज’ ने सीबीआई से विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को हटाए जाने की मांग की थी। भूषण ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने वाले सीबीआई अधिकारियों की एसआईटी जांच की मांग की है।
अस्थाना के विरूद्ध जांच कर रहे सीबीआई के एसी-3 इकाई के सुपरवाइजरी पुलिस अधीक्षक एस.एस. गुरम को भी तत्काल प्रभाव से मध्यप्रदेश के जबलपुर ट्रांसफर कर दिया गया है। संयुक्त निदेशक (पॉलिसी) अरुण कुमार शर्मा से भ्रष्टाचार रोधी प्रमुख का प्रभार छीन लिया गया है और उन्हें दूसरी जगह तैनाती दी गई है। अस्थाना के खिलाफ जांच की अगुवाई कर रहे उपमहानिरीक्षक मनोज सिन्हा का नागपुर ट्रांसफर कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधीक्षक सतीश डागर, उपमहानिरीक्षक तरुण गौबा और संयुक्त निदेशक वी. मुरुगेसन अब अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी की जांच को देखेंगे। सतीश डागर इससे पहले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ मामलों की जांच कर चुके हैं।
सीबीआई के अंदर की अभूतपूर्व घटनाक्रम के बाद अब करप्शन से जुडे हाई प्रोफाइल केस की जांच को पटरी पर लाना सीबीआई के सामने बड़ी चुनौती है। अब तक लगभग सभी राजनीतिक रूप से संवेदनशील मामलों की जांच का जिम्मा राकेश अस्थाना के नेतृत्व वाली जांच टीम के पास था। इन केसों में सबसे अहम विजय माल्या का केस था। सूत्रों के अनुसार अस्थाना इस केस में अभी लंदन भी गए थे। उनके हटने से जांच एजेंसी को माल्या को वापस लाने की कोशिश पर झटका लग सकता है।