नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही के साथ रूस की राजधानी मॉस्को में बैठक हुई है। चीन के रक्षा मंत्री ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अहम बैठक से इतर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक की गुजारिश की थी। गलवान घाटी और पैंगॉन्ग झील में हुए सैन्य टकराव के बाद पहली बार दोनों देश के रक्षा मंत्री आमने-सामने बैठे।
भारत और चीन की सीमा पर तनाव के बीच दोनों रक्षामंत्रियों की यह पहली मुलाक़ात मॉस्को के होटल मेट्रोपोल में भारतीय समयानुसार रात 9.30 ( मास्को के समयानुसार शाम 7 बजे) हुई है। दोनों नेताओं के बीच यह गलवान घाटी और पैंगॉन्ग झील में हुए सैन्य टकराव के बाद सबसे उच्चस्तरीय वार्ता है। दोनों देशों के रक्षामंत्रियों के बीच क्या वार्ता की, इसकी अधिकृत जानकारी की प्रतीक्षा है। पर इतना तय है कि पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चल रहे तनाव ही बातचीत का केन्द्र होगा।
लद्दाख सीमा पर भारत और चीन के बीच मई में शुरू हुआ तनाव खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। तब से सैन्य कमांडर औऱ ब्रिगेडियर स्तर की कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इस बातचीत की आड में 29-30 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की, जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सीमा पर महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर कब्जा जमा लिया। इससे चीन बहुत तिलमिलाया हुआ है।
इसी बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेने तीन दिवसीय यात्रा पर रूस पहुंचे हैं। कल उन्होंने रूसी रक्षामंत्री जनरल सर्गेई शोइगू के साथ रूसी रक्षा मंत्रालय में एक घंटे बैठक की। बैठक से इतर चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगही ने राजनाथ सिंह के साथ बैठक की गुजारिश की थी। पिछले रूस दौरे पर भी राजनाथ ने किसी द्विपक्षीय बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
जून में गलवान घाटी की हिंसक झड़प के बाद जब राजनाथ सिंह विजय दिवस की परेड में हिस्सा लेने रूस गए थे, तब भी चीन के प्रतिनिधि वहां मौजूद थे और चीन की ओर से तब भी अलग से बैठक की मांग की गई थी लेकिन राजनाथ सिंह ने चीनी अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता नहीं की थी। इसी माह दक्षिण रूस के अस्त्रखान क्षेत्र में 15 से 26 सितम्बर के बीच युद्धाभ्यास होना है जिसमें शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के 11 सदस्य देश भाग लेंगे।
इस युद्धाभ्यास में चीन और पाकिस्तान की सेनाएं भी शामिल हो रही हैं। रूस ने इस युद्धाभ्यास में भाग लेने के लिए भारत को भी तीनों सेनाओं की लगभग 200 कर्मियों की टुकड़ी के साथ आमंत्रित किया था लेकिन भारत ने चीन के साथ चल रहे टकराव के चलते बहुपक्षीय युद्धाभ्यास में शामिल होने से इनकार कर दिया है।