नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आपत्ति जताई कि डॉक्टरों और हेल्थकेयर स्टाफ को सैलरी नहीं मिल रही है और उन्हें क्वारेंटाइन होने के लिए आवासीय इंतजाम नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि कोई नहीं चाहेगा कि बीमारी के खिलाफ इस लड़ाई के हमारे सैनिक असंतुष्ट रहें। याचिकाकर्ता सरकार को आज ही सुझाव सौंपें। सरकार उन पर फैसला ले। इस मामले पर अगली सुनवाई 17 जून को होगी।
कोर्ट ने 15 मई को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए अस्पताल के पास ही आवास की व्यवस्था हो सकती है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वे इसके लिए केंद्र सरकार का निर्देश लेकर सूचित करें। याचिका उदयपुर की डॉक्टर आरुषि जैन ने दायर किया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया था कि अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को अस्पताल के नजदीक ही आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
उन्होंने कहा था कि अगर डॉक्टरों को रहने की अलग सुविधा नहीं दी जाएगी तो ये कोरोना वारियर बीमार हो जाएंगे। तब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि याचिकाकर्ता को पूरे देश की जानकारी नहीं है। मेहता ने कहा था कि 7 अप्रैल को राज्य सरकारों ने डॉक्टरों के आवास के लिए जरुरी दिशानिर्देश जारी किए थे। हम इसे लेकर सजग हैं। अगर कोई दिक्कत होती है तो सरकार को बताएं।
मेहता ने कहा था कि डॉक्टरों के ठहरने के लिए फाइव स्टार होटल की व्यवस्था की गई है। सरकार ने इन कोरोना वारियर्स की सुरक्षा के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। तब कोर्ट ने पूछा था कि सरकार डॉक्टरों को अस्पताल के पास ही रहने का इंतजाम क्यों नहीं कर सकती है। तब मेहता ने कहा था कि ये अच्छा सुझाव है इस पर हम विचार करेंगे।
इस पर रोहतगी ने कहा कि दिल्ली में डॉक्टर दस अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हम ये जानना चाहते हैं कि उनके लिए कितने होटलों की व्यवस्था की गई है। उसके बाद कोर्ट ने मेहता से कहा कि वे केंद्र सरकार से इस बारे में निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करें कि क्या अस्पतालों के निकट ही डॉक्टरों के लिए रहने की सुविधा मिल सकती है।