सुशासन की सरकार को अपने गिरेबान में झांकने की है जरूरत

पटना। नीतीश कुमार का नाम सुनते ही हमारे जहन में सबसे पहले उनकी दो तरह की  इमेज सामने आती है। पहली इमेज सुशासन बाबू की है। इस इमेज के सहारे बिहार में साालें से राज कर रहे हैं जबकि दूसरी इमेज पलटू राम की जो अक्सर मीडिया में चर्चा का विषय हुआ करती है।

अगले साल बिहार में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर नीतीश कुमार ने कमर कस ली है और फिर से सत्ता में लौटने का सपना उनकी आंखों में अभी से तैरने लगा है। पिछले दस सालों में नीतीश कुमार ने कई फैसले लिए हो लेकिन इनमें सबसे प्रमुख शराबबंदी है लेकिन यहीं शराबबंदी नीतीश कुमार के लिए गले की हड्डी बनता हुआ दिख रहा है।

वही विपक्ष भी इस मामले पर हमलावर है और मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा, “2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने कहा था कि ‘मेरे जिंदा रहते बिहार में नहीं बिकेगी शराब’, शराबबंदी तो लागू हो गई, पर अवैध शराब का गैरकानूनी कारोबार क्यों चालू है? बिहार में मौकापरस्त डबल सरकार सैकड़ों लोगों की जान लेने के लिए जिम्मेदार है !”

शायद ही बिहार में कोई ऐसा दिन हो जिसमें बिहार पुलिस ने शराब तस्करों को पकड़ा नहीं हो। इतना ही नहीं हर दिन न जाने कितनी लीटर शराब बरामद की जाती है, इसका भी हिसाब-किताब किसी के पास नहीं है। दूसरी तरफ शराबबंदी के नाम पर जहरीली शराब लोगों की जान लगातार ले रही है और नीतीश कुमार सुशासन बाबू का चोला ओढ़े सत्ता की कुर्सी पर अब तक विराजमान लेकिन बिहार के छपरा और सिवान में जहरीली शराब पीने की वजह से 28 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और ये खबर नीतीश कुमार की नींद उड़ाने के लिए काफी है और  सुशासन की सरकार पर एक ऐसा बदनुमा दाग लग गया जो आने वाले दिनों में उनकी सत्ता को हिलाने के लिए काफी होगा।

नीतीश कुमार के लिए जहरीली शराब कांड बना गले की हड्डी

ऐसे तो बिहार में न जाने कितनी लीटर शराब बिहार पुलिस के द्वारा पकड़ी जाती है लेकिन बड़ा सवाल है कि शराबबंदी के बावजूद शराब तस्करों के हौसले बुलंद है और गरीब जनता को शराब के नाम पर जहरीला शराब भी खूब परोसी जा रही है।

सिवान में जहरीली शराब से 20 लोगों और छपरा में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। यानी मौतों का आंकड़ा और भी बढ़ेंगा। पटना मेडिकल कॉलेज में जितने लोगों को रेफर किया गया था, उनमें से पांच लोगों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि जिंदगी को बचाया गया है उनकी आँखों की रौशनी भी जा चुकी है। पिछले साल भी सीतामढ़ी में इसी तरह की घटना हुई और छह लोगों की जिंदगी एक झटके में खत्म हो गई थी।

जदयू नेता शराब तस्करी में संलिप्त रहा है

सितंबर माह में बिहारशरीफ के नगर थाना क्षेत्र अंबेर चौक स्थित एक निजी स्कूल में जदयू प्रखंड अध्यक्ष सीताराम प्रसाद तस्कर सहित 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

आपको बताना चाहेंगे कि पुलिस ने वहां से 292.32 लीटर अंग्रेजी शराब को बरामद किया था और वहां से 2 लाख 88 हजार रुपये नगद और ताश के पत्ते, मोबाइल और बाइक जब्त किया था। इससे पता चलता है कि जदयू के लोग शराब तस्करी में लगे हुए और इतना सब कुछ के बावजूद नीतीश कुमार अपने होठो पर ताला लगा लेते हैं।

मुजफ्फरपुर के रहने वाले जदयू के प्रदेश महासचिव विजय सिंह पटेल को स्प्रिट की तस्करी में पकड़ा गया। इन्हें पलामू की पुलिस ने गिरफ्तार किया था। यह दीगर कि बाद में जनता दल यू से सफाई आई कि इस नाम का कोई पदाधिकारी नहीं।

कुल मिलाकर देखा जाये तो नीतीश कुमार के करीबी लोग भी शराबबंदी नहीं चाहते हैं लेकिन इसके बावजूद नीतीश कुमार इससे कुछ भी बोलने से बचते हैं। लेकिन जब शराबबंदी की आड़ में गोरखधंधा चल रहा हो और उनकी पार्टी के नेता भी शामिल है। ये सब देखने के बावजूद नीतीश कुमार उनको रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। ऐसे में देखना होगा कि जनता अगले साल विधानसभा चुनाव में कैसा जवाब देती है।

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