प्रयागराज। साधु-संतों की जानी मानी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी की सोमवार को हुई संदिग्ध अवस्था में मौत के बाद उनके कमरे से बरामद आठ पन्ने का सुसाइड़ नोट अपने आप में एक रहस्य है और इसकी जांच होनी चाहिए। अखाड़ा परिषद के सेवादारों और मठ के शिष्यों का कहना है कि महंत नरेन्द्र गिरी स्वयं कभी कुछ नहीं लिखते थे।
वह मठ के किसी शिष्य या सेवादार से ही लिखवाते थे। नाम नहीं लिखने की शर्त पर एक शिष्य ने बताया कि जब वह कुछ अपने हाथ से लिखते ही नहीं थे तो आठ पन्ने का सुसाइड़ नोट लिखने का सवाल ही पैदा नहीं होता। इसलिए सुसाइड़ नोट की जांच होनी चाहिए।
शिष्य ने बताया कि मंहत श्री बोलते थे और शिष्य लिखता था। उसके बाद उसी से पढ़कर सुनते थे, उसके बाद उस पर अपन हस्ताक्षर करते थे। कभी यदि उन्होंने कुछ लिखा होगा तो तीन या चार लाइन से अधिक कुछ नहीं लिखा। सेवादार और शिष्यों का कहना है कि पुलिस के पास मौके से मिले आठ पन्ने के सुसाइड़ नोट को महंत कभी नहीं लिख सकते।
यह सुसाइड़ नोट किसी अन्य व्यक्ति ने लिखा है। शिष्य ने दावा किया कोई भी शिष्य, सेवादार या मइ से संबंधित अन्य तत्काल देखकर बता सकता है कि उनकी महंत की हैंडराइटिंग है या नहीं।
शिष्य ने बताया कि मठ में जब भी कोई साधु संतों की मीटिंग होती थी उसमें भी महंत अपने हाथ से नहीं लिखते थे। वह बोलते थे कोई दूसरा उसे लिखता था। मैटर को सुनकर उसके बाद उसपर सभी संतों के समक्ष हस्ताक्षर किया करते थे।