मुंबई। मुंबई की विशेष अदालत ने सेबी (Securities and Exchange Board of India) की पूर्व चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और चार अन्य लोगों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने एंटी करप्शन ब्यूरो को निर्देश दिया कि वह इस मामले में जांच शुरू करे।
क्या है पूरा मामला?
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, मामला शेयर बाज़ार में धोखाधड़ी और नियामक उल्लंघन से जुड़ा है।
यह आदेश एक स्थानीय पत्रकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद विशेष अदालत के जज शशिकांत एकनाथ राव ने दिया। याचिकाकर्ता ने बुच और अन्य लोगों पर वित्तीय घोटाले, नियामक नियमों के उल्लंघन और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया था।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट से बुच का नाम कैसे जुड़ा?
माधवी पुरी बुच पर सबसे बड़ा आरोप अमेरिका की शॉर्ट-सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जुड़ा है।
हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया था कि बुच और उनके पति ने उस विदेशी फंड में निवेश किया था, जिसे अदानी ग्रुप ने इस्तेमाल किया। आरोप यह भी है कि इसी कारण सेबी अदानी ग्रुप के खिलाफ वित्तीय हेरफेर के मामले में कड़ी जांच नहीं कर रही थी।
कांग्रेस के आरोप
कांग्रेस पार्टी ने बुच पर आरोप लगाए कि वे एक ऐसी कंपनी से किराए की आय ले रही थीं, जिसकी खुद सेबी द्वारा जांच की जा रही थी।
पार्टी ने यह भी दावा किया कि माधवी बुच को आईसीआईसीआई बैंक से उनके कार्यकाल के बाद भी आर्थिक लाभ मिल रहा था, जबकि यह हितों के टकराव का मामला बनता है।
माधवी बुच का कार्यकाल और नए चेयरमैन की नियुक्ति
माधवी बुच का तीन साल का कार्यकाल 28 फरवरी को समाप्त हो चुका है। उनके बाद केंद्र सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को सेबी का नया चेयरमैन नियुक्त किया है।
अब आगे क्या होगा?
अब जब अदालत ने एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं, एंटी करप्शन ब्यूरो इस मामले की जांच करेगा। यदि आरोप साबित होते हैं तो यह भारतीय शेयर बाजार के इतिहास में एक बड़ा वित्तीय घोटाला साबित हो सकता है।