मुंबई। निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वझे ने विस्फोटकों से लदी स्कॉर्पियो को एस्कॉर्ट करने के लिए अपनी ही सरकारी इनोवा गाड़ी का इस्तेमाल किया था और खुद 25 फरवरी को ‘क्राइम सीन’ तक गए थे। इस बात का खुलासा हिरासत की मांग वाली याचिका में नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (NIA) ने किया है।
सूत्रों के मुताबिक, NIA की पूछताछ में यह सामने आया है कि CCTV फुटेज में PPE किट पहने नजर आने वाला शख्स सचिन वझे है। केंद्रीय जांच एजेंसी को यह सबूत मिला है कि PPE किट को वझे ने नष्ट कर दिया था। किट के भीतर वझे ने जो कपड़े पहने थे, उसे एक मर्सिडीज कार से बरामद कर लिया गया है।
वझे का करीबी चला रहा था इनोवा कार
NIA सूत्रों ने बताया कि वह सचिन वझे ही थे जो इनोवा को ड्राइव करके स्कॉर्पियो के पीछे-पीछे कारोबारी मुकेश अंबानी के आवास एंटीलिया के पास तक ले गए थे। इनोवा के सरकारी ड्राइवर ने NIA को बताया कि 24 फरवरी को उसकी ड्यूटी खत्म होने के बाद उसने इनोवा को पुलिस हेडऑफिस के अंदर खड़ा किया और घर चला गया। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि वहां से कार को लेकर कौन गया था।
रजिस्टरों पर वाहन की आवाजाही की कोई एंट्री नहीं की गई थी। आधिकारिक नियमों के अनुसार, सरकारी वाहन के आने और जाने को एक रजिस्टर में लॉग इन करना होता है। NIA को शक है कि स्कॉर्पियो को वझे का एक करीबी कॉन्स्टेबल ही चला रहा था।
PPE किट में सचिन वझे के होने का संदेह
सूत्रों के मुताबिक, NIA को यह सबूत मिले हैं कि PPE किट पहने स्कॉर्पियो के पास नजर आने वाला व्यक्ति सचिन वझे ही था। CIU में काम करने वाले एक सरकारी ड्राइवर ने इसकी पुष्टि भी की है। केंद्रीय जांच एजेंसी फॉरेंसिक पोडियाट्री तकनीक का इस्तेमाल करके अपने दावे को पुख्ता कर रही है। इसमें संदिग्ध की पहचान करने के लिए पैरों के निशान और चलने के पैटर्न का अध्ययन किया जाता है। यदि यह परीक्षण मौके पर वझे की उपस्थिति की पुष्टि करता है, तो इस मामले की तह खुलने में मदद मिलेगी।
केस में मर्सिडीज की हुई एंट्री, कई सबूत हाथ लगे
इस बीच मंगलवार रात NIA ने एक मर्सिडीज कार जब्त की है। इसमें 5 लाख रुपए कैश, नोट गिनने वाली मशीन, कुछ दस्तावेज, कपड़े, एंटीलिया के बाहर से बरामद स्कॉर्पियों कार की असली नंबर प्लेट, केरोसिन और बीयर की बोतलें मिली हैं। इसे वझे ही इस्तेमाल करते थे। माना जा रहा है कि केरोसिन का इस्तेमाल PPE किट जलाने के लिए किया गया था।
कार में फर्जी नंबर प्लेट लगी थी। NIA के IG अनिल शुक्ला ने इस बात की पुष्टि की है कि वझे ही मर्सिडीज कार का इस्तेमाल कर रहे थे। फिलहाल कार की फॉरेंसिक जांच जारी है।
वझे के आईपैड और फोन से डिलीट डेटा को रिकवर किया जा रहा
NIA के अधिकारियों ने सोमवार रात पुलिस मुख्यालय में स्थित क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट ऑफिस की तलाशी ली और एक CPU, वझे के आई-पैड, लैपटॉप, मोबाइल फोन और कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। बाद में पता चला कि इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से डेटा डिलीट किया गया है। अब NIA की टीम फोन, लैपटॉप और आईपैड को क्लोन कर इसका डिलीट डेटा रिकवर करने का काम कर रही है।
सूत्रों ने कहा कि API रियाजुद्दीन काजी द्वारा 27 फरवरी को वझे की हाउसिंग सोसायटी से बाहर किए गए डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर की जब्ती का कोई रिकॉर्ड CIU के पास नहीं है। यह तलाशी सोमवार शाम करीब आठ बजे शुरू हुई और मंगलवार सुबह चार बजे तक चलती रही।
भाजपा नेता ने मनसुख के परिवार की सुरक्षा की मांग की
इस बीच भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. किरीट सोमैया ने स्कॉर्पियो के मालिक मनसुख हिरेन के परिवार की सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। 5 मार्च को मनसुख का शव मिला था। उनके परिवार ने सचिन वझे पर मनसुख की हत्या करवाने का आरोप लगाया है।
गिरफ्तारी को अवैध बताने वाली अर्जी हुई खारिज
इस बीच मंगलवार को मुंबई की स्पेशल NIA कोर्ट ने सचिन वझे की वह अर्जी खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने एजेंसी की ओर से की गई अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया था। वझे के वकील सजल यादव और सनी पुनमिया ने दलील दी कि नियमानुसार वझे को गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि CrPC की धारा 45(1) के तहत राज्य सरकार से कोई अनुमति नहीं ली गई। धारा 45(1) के तहत अगर किसी सरकारी अधिकारी को उसके ड्यूटी के तहत किए गए कार्य के लिए गिरफ्तार करना हो तो सरकार की मंजूरी लेनी होती है।
अदालत में सुनवाई के दौरान यह हुआ
विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंसाल्वेस ने आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि वझे को शनिवार की रात 11 बजकर 50 मिनट पर गिरफ्तार किया गया और अगले दिन दोपहर 2:45 पर अदालत में पेश किया गया। अभियोजक ने दावा किया कि वझे को जांच से जुड़े स्पष्टीकरण के लिए सुबह बुलाया गया था, लेकिन वे देर रात आए।
वहीं, वझे के वकीलों ने आरोप लगाया कि उन्हें शनिवार की सुबह 11 बजे गिरफ्तार किया गया। NIA के वकील ने बताया कि सरकार से अनुमति की जरूरत नहीं थी, क्योंकि वझे ने अपनी आधिकारिक ड्यूटी के तहत यह काम नहीं किया था।
न्यायाधीश पीआर सित्रे ने वझे की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी होने के नाते उन्हें अपने अधिकार पता थे। जज ने कहा, ‘थाने के रोजनामचे में की गई एंट्री से स्पष्ट है कि आरोपी और संबंधित थाने को सूचना दी गई थी और उनकी गिरफ्तारी की सूचना भी थी, इसका मतलब है कि गिरफ्तारी का आधार बताया गया था।’ अदालत ने कहा कि उन्होंने ड्यूटी के तहत ऐसा किया है या नहीं यह सुनवाई के दौरान तय किया जा सकता है।