हीरो इलेक्ट्रिक देश की सबसे पुरानी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों में से एक। एक हजार करोड़ रुपए टर्नओवर। हर साल एक लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक व्हीकल की सेल।
‘Unicorn Dreams with कुशान अग्रवाल’ में आज हमारे साथ हैं हीरो इलेक्ट्रिक के मैनेजिंग डायरेक्टर नवीन मुंजाल। बातें हीरो इलेक्ट्रिक की शुरुआत, जर्नी और एक आइडिया को कामयाब बिजनेस में बदलने की। तो चलिए शुरू करते हैं…
कुशान: हीरो इलेक्ट्रिक की शुरुआत कब और कैसे हुई?
नवीन मुंजाल: मैंने 2000 में इलेक्ट्रिक व्हीकल की शुरुआत की थी। हमारी कोशिश थी कि यूजर्स को ज्यादा पावर दी जाए, ताकि वह ज्यादा से ज्यादा डिस्टेंस कवर कर सके। हमने इलेक्ट्रिक बायसाइकिल लॉन्च की, लेकिन वो ज्यादा चली नहीं। उस वक्त ये कैटेगरी नई थी, यूजर्स समझ नहीं पाए।
2003 की बात है मैं एक अमेरिकन कंपनी में लिथियम आयन बैट्री पर काम कर रहा था। इसके बाद मैं लिथियम आयन बैट्री यूज करने लगा, लेकिन इसकी कॉस्ट काफी ज्यादा थी। इसलिए हमें इसमें भी कामयाबी नहीं मिली। हालांकि, मुझे इतना तो भरोसा था कि भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल जरूर आएगी।
मैंने 2007 में अपनी कंपनी बनाई। टीम बनानी शुरू की। सप्लाई चेन डेवलप किया। एक बेहतरीन डीलर नेटवर्क तैयार किया। इससे हमें अच्छी कामयाबी मिली। 2011 में हम इंटरनेशनल मार्केट में भी उतर गए।
कुशान: इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में अब और भी प्लेयर्स आ रहे हैं। हीरो इलेक्ट्रिक इनसे कैसे अलग है और वह लगातार मार्केट लीडर कैसे बना हुआ है?
नवीन मुंजाल: इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा कंपनियां आ रही हैं, यह बहुत ही पॉजिटिव चीज है। इससे पता चलता है कि इस सेक्टर में काफी स्कोप है। जहां तक हमारी स्ट्रैटजी की बात है, तो हम तीन चीजों पर फोकस कर रहे हैं-
- कॉस्ट इफेक्टिव: अगर कोई यूजर एक लाख की बाइक खरीद रहा है, तो हम उसके आसपास की रेंज में ही इलेक्ट्रिक बाइक भी ऑफर करते हैं। ताकि उसे इलेक्ट्रिक व्हीकल में शिफ्ट होने में ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ा।
- सेविंग्स: अगर कोई यूजर फ्यूल वाली बाइक से 100 रुपए में 40 किलोमीटर सफर करता है, तो हमारी बाइक से उस सफर के लिए खर्च 12 रुपए आएगा। यानी उसे 88 रुपए की सेविंग होगी। इस तरह हम रनिंग कॉस्ट में अपने यूजर को रेगुलर सेविंग्स का भी मौका देते हैं।
- पोर्टेबल बैट्री: हमारी बैट्री आसानी से चार्ज की जा सकती है। यूजर इसे ऑफिस या घर में आसानी से ले जा सकता है और चार्ज करने के बाद वापस बाइक में लगा सकता है।
इसके अलावा हमने 9 हजार से ज्यादा मेकेनिक्स को ट्रेनिंग दी है। ताकि यूजर को कहीं भी सर्विसिंग या रिपेयरिंग की जरूरत पड़े तो दिक्कत न हो। साथ ही हम इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 7 साल की वॉरंटी और बैट्री पर 4 साल की वॉरंटी भी दे रहे हैं, जो बाकी कंपनियों से अलग है।
कुशान: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल का ट्रेंड कैसा है? इसका मार्केट शेयर कितना है? अगले पांच साल में यह कहां तक पहुंचेगा?
नवीन मुंजाल: पिछले दो सालों में इलेक्ट्रिक व्हीकल का शेयर टू व्हीलर्स मार्केट में 1% से 5% तक पहुंच गया है। इसका मतलब है कि देश में इसको लेकर एक इकोसिस्टम डेवलप हो रहा है। जैसे-जैसे यूजर्स बढ़ेंगे, प्रोडक्शन बढ़ेगा, इलेक्ट्रिक व्हीकल की प्राइस भी कम होगी। इससे कनवर्जन रेट बढ़ेगा। मेरा अनुमान है कि अगले पांच साल में आसानी से टू व्हीलर्स मार्केट में 40-60% हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक व्हीकल की होगी।
कुशान: इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की प्राइस पेट्रोल-डीजल वाले व्हीकल्स के बराबर कब होगी?
नवीन मुंजाल: जाहिर तौर पर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की प्राइस पेट्रोल-डीजल वाले व्हीकल्स से कम होगी, लेकिन अभी इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है। अभी इसके लिए एक इकोसिस्टम डेवलप करने की जरूरत है।
जैसे-जैसे मार्केट में इसका शेयर बढ़ेगा, सप्लाई चेन डेवलप होगा, इसकी प्राइस भी घटेगी। इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ एक अच्छी बात यह भी है कि बिना बैट्री के भी गाड़ियां कंपनी बना सकती है और बेच सकती है। कस्टमर बैट्री दूसरी जगहों से खरीद सकता है। बैट्री सेक्टर में भी कई कंपनियां बढ़िया काम कर रही हैं।
कुशान: भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल के चार्जिंग पॉइंट्स किस तरह से तैयार हो रहे हैं?
नवीन मुंजाल: हमारे यहां लगभग हर घर में टू व्हीलर्स के लिए चार्जिंग का इन्फ्रास्ट्रक्चर है। इसके लिए बहुत हाई पावर की जरूरत नहीं होती है। यूजर आसानी से अपने व्हीकल की बैट्री चार्ज कर सकता है। हमने चार हजार से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन डेवलप भी किए, लेकिन लोगों ने उसमें बहुत दिलचस्पी नहीं दिखाई, क्योंकि उन्हें जरूरत ही नहीं पड़ी।
वे एक बार अपने घर में बैट्री चार्ज करते हैं, तो दिनभर का काम हो जाता है। ऐसे बहुत कम लोग हैं जिनकी बैट्री बीच सफर में डिस्चार्ज होती होगी। तो मुझे नहीं लगता कि ये बहुत बड़ा इश्यू है।
कुशान: कभी ऐसा कोई वक्त आया, जब आपको लगा कि बस, अब बहुत हुआ? आप उस मुश्किल वक्त से कैसे आगे बढ़े?
नवीन मुंजाल: जब मैं इस सेक्टर में आया था, तब ये बिल्कुल नया था। कोई कॉम्पिटिटर नहीं था। इसका हमें जितना फायदा मिला, उतना ही पुशबैक भी मिला। जहां तक मुश्किलों की बात है, उससे निकलने के लिए मेरी एक स्ट्रैटजी रही है, जिसे समय-समय पर मैं अपने एम्प्लॉइज के साथ भी शेयर करता हूं।
मुझे फोटोग्राफी बहुत पसंद है। कैमरे में जूम इन और जूम आउट दोनों ऑप्शन होता है। जूम आउट में बड़ी तस्वीर दिखती है। उसी तरह मैं चैलेंजेज को भी जूम आउट करके देखता हूं। मेरे लिए कोई गुड टाइम और बैड टाइम नहीं है, हमेशा संघर्ष करना है, कोशिश करनी है।
कुशान: देश के यंग एंटरप्रेन्योर्स को पर्सनल और बिजनेस टिप्स क्या देना चाहेंगे?
नवीन मुंजाल: मेरी सलाह है कि रिस्क लेने से डरें नहीं, लेकिन कैल्कुलेटेड रिस्क लें। रिस्क नहीं लेंगे तो डिसीजन नहीं ले पाएंगे। खुद पर भरोसा रखें। गलतियां होंगी, लेकिन बार-बार गलतियां मत करिए। अपनी गलतियों को जल्दी सुधारें।
कुशान: आपकी हॉबीज क्या हैं। आप फ्री टाइम में क्या करना पसंद करते हैं?
नवीन मुंजाल: मैं जिस सेक्टर में हूं, उसमें वक्त तो बहुत कम मिलता है, पर जब भी मुझे मौका मिलता है, मैं ट्रैवलिंग करता हूं। मुझे फोटोग्राफी भी बहुत पसंद है। मेरे लिए यह मेडिटेशन की तरह है। मैं पिक्चर खुद ही क्लिक करता हूं, खुद ही प्रोसेसिंग और एडिटिंग भी करता हूं। इसके अलावा मैं एडवेंचर स्पोर्ट्स भी एंजॉय करता हूं।