वाराणसी। ज्ञानवापी से जुड़े एक मुकदमे की सुनवाई आज वाराणसी की एसीजेएम 5th की कोर्ट में हुई। यह ज्ञानवापी मामले को लेकर भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर मुकदमे की मांग से संबंधित है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी सहित सात नामजद और सैकड़ों अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग है। सुनवाई के लिए अगली डेट तय की जाएगी।
पिछली तारीख पर विपक्षी मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी की ओर से पक्ष रखने के लिए दाखिल अर्जी को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुनवाई के लिए 31 जनवरी की डेट तय की थी। वादी एडवोकेट हरिशंकर पांडेय ने अर्जी दी थी। जिसमें कहा गया कि असदुद्दीन ओवैसी, अखिलेश यादव, ज्ञानवापी मस्जिद के अंजुमन इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल वाकी, मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, कमेटी के संयुक्त सचिव सैय्यद मोहम्मद यासीन और बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो। इन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। इस मामले में अब्दुल बाती के तरफ से अपना पक्ष रखने के लिए अर्जी दी गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय ने क्या आरोप लगाए हैं…
- हरिशंकर पांडेय ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156-3 के तहत अदालत में आवेदन पत्र दिया है। अधिवक्ता का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग मिला है। जहां पूज्य शिवलिंग मिला है, वहां हाथ-पैर धोए जाने, खखार कर थूंकने और गंदा पानी बहाए जाने से काशीवासियों के साथ ही असंख्य सनातन धर्मियों का मन पीड़ा से भर गया।
- आरोपियों ने साजिश के तहत स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग को फव्वारा कह कर सनातनधर्मियों की आस्था पर कुठाराघात किया और आमजन में विद्वेष फैलाने का काम किया।
- सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बयान दिया कि पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखकर झंडा लगा, दो तो वही भगवान और शिवलिंग है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई हिंदुओं के धार्मिक मामलों और स्वयंभू आदि विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बात कह रहे हैं। इन नेताओं की बातें जनभावनाओं के खिलाफ हैं।
- अधिवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि इस पूरे प्रकरण की साजिश में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी और शहर के उलेमा भी शामिल हैं। इन सभी के आचरण से हिंदू समाज आहत है।
- इसलिए सभी आरोपियों के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने सहित अन्य आरोपों के तहत मुकदमा दर्ज कर विवेचना की जाए। इस संबंध में वाराणसी के पुलिस कमिश्नर को आवेदन पत्र दिया गया था। कार्रवाई नहीं होने पर उन्हें अदालत की शरण में आना पड़ा।