वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीजा पर लगाई गई रोक में कुछ रियायत दे दी है। अब इस वीजा के तहत लोग अगला प्रतिबंध लगने से पहले अपनी पुरानी नौकरी या पुरानी कंपनी में लौट सकते हैं। संबंधित व्यक्ति के बच्चों और पति या पत्नी को भी प्राइमरी वीजा के साथ अमेरिका में आने की इजाजत होगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एडवायजरी में यह भी कहा गया है कि टेक्निकल स्पेशलिस्ट, सीनियर लेवल मैनेजर और उन लोगों को भी अमेरिका आने की इजाजत दे दी गई है, जिनकी वजह से जरूरी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। इनमें स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग, रिसर्चर्स भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के इरादे से भी यह फैसला किया गया है।
कोरोना महामारी के कारण प्रतिबंध लगाया था
ट्रम्प प्रशासन ने एच-1बी धारकों को इस साल के आखिरी तक अमेरिका आने पर पाबंदी लगाई थी। यह फैसला कोरोना महामारी की वजह से लिया गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में पिछले साल नवंबर तक 5 लाख 83 हजार 420 एच-1बी वीजाधारक थे। अमेरिका हर साल लैप्स हो जाने वाले वीजा को रिन्यू करने के लिए 85 हजार नए एच-1बी वीजा जारी करता रहा है। यह वीजा 3 साल के लिए जारी किया जाता है। 3 साल के बाद यह रिन्यू करवाया जा सकता है। बीते कुछ सालों में कुल एच-1बी वीजा में से 70% भारतीयों को मिलते रहे हैं।
क्या होता है एच-1बी वीजा?
यह एक गैर-प्रवासी वीजा होता है, जो किसी विदेशी नागरिक या कामगार को अमेरिका में काम करने के लिए जारी किया जाता है। जो कंपनियां अमेरिका में हैं, उन्हें ये वीजा ऐसे कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए दिया जाता है, जिनकी अमेरिका में कमी हो। इस वीजा को पाने की कुछ शर्तें भी होती हैं। जैसे- कर्मचारी को ग्रेजुएशन होने के साथ-साथ किसी एक क्षेत्र में स्पेशियलिटी भी होनी चाहिए।
इसे पाने वाले कर्मचारी की सालाना तनख्वाह 40 हजार डॉलर यानी 45 लाख रुपए से ज्यादा होनी चाहिए। ये वीजा अमेरिका में बसने की राह भी आसान करता है। एच-1बी वीजाधारक 5 साल बाद अमेरिका की स्थाई नागरिकता या ग्रीन कार्ड के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं। टीसीएस, विप्रो, इन्फोसिस जैसी 50 से ज्यादा भारतीय आईटी कंपनियों के अलावा गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी अमेरिकी कंपनियां इस वीजा का इस्तेमाल करती हैं।
पिचाई ने कहा था- सरकार के फैसले से निराश हूं
एच-1बी वीजा पर अमेरिकी सरकार के फैसले पर गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने निराशा जाहिर की थी। उन्होंने कहा था- प्रवासियों ने अमेरिका को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने में मदद की, देश को तकनीक में अव्वल बनाया। इन्हीं लोगों की वजह से गूगल इस जगह पहुंचा। हम इन लोगों को समर्थन करते रहेंगे।
टेस्ला और माइक्रोसॉफ्ट ने भी किया विरोध
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क और माइक्रोसॉफ्ट के प्रेसिडेंट ब्रेड स्मिथ ने भी इस फैसले का विरोध किया था। मस्क ने कहा था- यह देश को वर्ल्ड टैलेंट से अलग करने का वक्त नहीं है। प्रवासियों ने हमारी मदद उस दौर में की थी जब हमें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। फेसबुक ने एक बयान में कहा था- ट्रम्प के इस आदेश से वह बेहतरीन प्रतिभाएं अमेरिका से बाहर रह जाएंगी, जिनकी हमें जरूरत है। इकोनॉमिक रिकवरी मुश्किल हो जाएगी।