बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक बड़ा नाम है लेकिन उनकी पलटने की आदत से सभी वाकिफ है और इस वजह से उनको अब पलटूराम के नाम से ज्यादा पुकारा जाता है।
पिछले साल जनवरी में उन्होंने अचाकन से पाला बदल लिया और लालू यादव से नाता तोड़ते हुए फिर से बीजेपी ने दोबरा रिश्ता जोड़ते हुए सीएम बन गए है लेकिन एक बार फिर उनको लेकर बिहार की सियासत में एक अलग ही हवा चल रही है। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार से बीजेपी का मोह भंग हो गया है और वो फिर से इधर से उधर जाने का मन बना रहे हैं।
अभी तक विपक्षी खेमा भी इशारों में इस बात को हवा देने में जुट गया है। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ताजा बयान भी बिहार की सियासत का अचानक से पारा चढऩे का काम जरूर किया है।
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है अमित शाह का बयान। नीतीश कुमार अमित शाह के उस बयान से काफी आहत हैं, जिसमें उनके मुख्यमंत्री वाले सवाल पर अमित शाह ने बेहत हैरान करने वाला जवाब दिया।
उन्होंने इशारों में नीतीश कुमार जवाब देने की कोशिश की। दूसरी तरफ ललन सिंह और संजय झा केंद्र सरकार में मंत्री बनने के बाद लगातार बीजेपी के करीब होते नजर आ रहे है।
नीतीश कुमार पुरानी घटनाओं को याद कर रहा है।कहा जा रहा है कि दिल्ली गए नीतीश ने मनमोहन सिंह के परिजनों से मुलाकात की, लेकिन एनडीए के नेताओं से मुलाकात करने से बचते नजर आए।
इस बीच अमित शाह दो दिन के बिहार दौरे पर 5 जनवरी को आने वाले हैं। इस दौरान दो कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस दौरान भूतपूर्व भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी की जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में वे शामिल होंगे। फिर गुरुद्वारा साहिब जाएंगे।
माना जा रहा है कि इसी दौरान नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात हो सकती है और इस मसले पर बातचीत भी हो सकती है। अगले 48 घंटे में साफ हो जाएगा कि नीतीश कुमार सच में नाराज हैं या नाराजगी की खबरें सिर्फ अफवाह है।
ऐसे में देखना होगा कि क्या बस नीतीश कुमार एक बार फिर भाजपा को लेकर कोई बड़ा कदम उठाते हैं या नहीं लेकिन नीतीश कुमार का मौन कहीं ना कहीं एक बार फिर उनके पलटने की ओर इशारा करता हुआ नजर आ रहा है।