नई दिल्ली। इसी साल 24 जनवरी को अमेरिकी रिसर्च फर्म Hindenburg की एक रिपोर्ट आई थी। यह रिपोर्ट गौतम अडानी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों पर था। तभी से इनकी कंपनियों का दम निकला हुआ है। अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में लगातार गिरावट जारी है। आज भी बाजार (Share Market) खुलते समय ग्रुप की अधिकतर कंपनियों के शेयर रेड जोन में थे। इससे गौतम अडानी तो प्रभावित हुए ही हैं, ढेर सारे सरकारी बैंक और देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी एलआईसी (LIC Of India) भी प्रभावित है। बताया जाता है कि एलआईसी ने अडानी ग्रुप की कंपनियों के 30,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का शेयर खरीद रखा हे।
एलआईसी को भारी नुकसान?
इससे गौतम अडानी का नेटवर्थ भी धाराशाई हो गया है। इसी कंपनी के शेयरों में सरकारी कंपनी एलआईसी का हजारों करोड़ रुपये का निवेश है। देश में विपक्षी दल का आरोप है कि अडानी ग्रुप की कंपनियों में भारी निवेश की वजह से एलआईसी को भारी नुकसान हुआ है। लेकिन कंपनी इस पर चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, एक बार एलआईसी के चेयरमैन एम. आर. कुमार (M R Kumar Chairman LIC) ने कहा था कि वह अडानी की कंपनियों में और निवेश नहीं करने जा रहे हैं। लेकिन वह यह भी नहीं बता रहे हैं कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर के औंधे मुंंह गिरने से एलआईसी को कितना नुकसान हुआ है। यहां सवाल यह उठता है कि आखिर कंपनी स्थिति स्पष्ट क्यों नहीं कर रही है? क्या एलआईसी कुछ छुपा रही है?
गौतम अडानी को हुआ है काफी नुकसान
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने से पहले, मतलब 23 जनवरी 2023 को गौतम अडानी की 130 अरब की संपत्ति थी। इसी के साथ वह दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर थे। पिछले सप्ताह कारोबार की समाप्ति के बाद वह फिसल कर फोब्र्स की सूची में 35वें नंबर पर पहुंच गए हैं। अब अडानी की संपत्ति मात्र 34 अरब डॉलर रह गई है। जाहिर है कि इसका असर एलआईसी पर भी पड़ा होगा। लेकिन कंपनी इस पर कुछ भी खुलासा करने से बच रही है।
अडानी ग्रुप में 30,127 करोड़ रुपये का निवेश
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने सात फरवरी 2023 को राज्यसभा में एलआईसी के निवेश के बारे में एक अहम जानकारी दी थी। एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने बताया था कि पिछले कई वर्षों के दौरान एलआईसी ने अडानी ग्रुप के शेयरों की खरीद में 30,127 करोड़ रुपये का निवेश किया है। 27 जनवरी 2023 को बाजार बंद होने तक इन शेयरों का बाजार मूल्य 56,142 करोड़ रुपये था। कराड ने बताया था कि एलआईसी की एसेट अंडर मैनेजमेंट मतलब कि एयूएम 41.66 लाख करोड़ रुपये से अधिक का है। इस हिसाब से अडानी ग्रुप में एलआईसी का निवेश उसके कुल एयूएम के मुकाबले एक फीसदी से भी कम है।
एलआईसी कुछ कहने से बच रही है
अडानी ग्रुप के विवाद का पिटारा खुले एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। लेकिन एलआईसी इस पर कुछ कहने से बच रही है। हालांकि बीते 10 फरवरी को एलआईसी के चेयरमैन एम. आर. कुमार (M R Kumar Chairman LIC) ने एक न्यूज चैनल से कहा था कि वह अडानी ग्रुप से निवेश निकाल नहीं रहे हैं। उनका कहना था कि अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर बहुत कम समय में तेजी से गिरे हैं। ऐसे में शेयर बेच कर निकलने का फैसला नहीं हुआ है। यहां सवाल उठता है आप भले ही किसी कंपनी के शेयर नहीं बेचें, लेकिन यह तो बता ही सकते हैं कि उन्हें अडानी ग्रुप की कंपनियों में निवेश से अभी तक कितना प्रोफिट या लॉस हुआ है?
लंबे समय के लिए पैसा लगाती है कंपनी
एलआईसी के एक वरिष्ठ आधिकारिक सूत्र का कहना है कि उनकी कंपनी शेयर मार्केट में ही नहीं, बल्कि कई सारे निवेश विकल्पों में निवेश करती है। शेयर मार्केट में भी एलआईसी का पैसा सिर्फ अडानी ग्रुप में ही नहीं लगा है। एलआईसी का पैसा ढेर सारी कंपनियों में लगा है। साथ ही उनके इनवेस्टमेंट को कभी शॉर्ट टर्म के हिसाब से जज नहीं किया जाना चाहिए। एलआईसी एक लांग टर्म इनवेस्टर है। यह कंपनियों के शेयर बरसों—बरस अपने पास रखती है।