अद्भुत…अद्वितीय…अलौकिक: बरसाना की लठामार होली में लाठियों से बरसा प्रेम

अद्भुत…अद्वितीय और अलौकिक, ऐसा नजारा मथुरा के बरसाना में देखने को मिला। वसंत पंचमी से जिस बेला का इंतजार बरसाना और नंदगांव के गोप-गोपियों को था, वो बेला शुक्रवार को आई।
होली 2022 शुभ मुहूर्त,तिथि,समय - Same Day Tour Blog
यहां विश्व प्रसिद्ध लठामार होली खेली गई। एक ओर नंदगांव के ग्वाल हाथों में ढाल और सिर पर सुरक्षा कवच पगड़ी पहने थे तो सामने चमचमाती लाठियां लिए हुरियारिन थीं। बरसाना की गलियों में ध्वज पताका के आते ही हुरियारिनों की लाठियां हुरियारों पर बरसने लगीं।
Holi 2022- Gokul Ramanreti- Holi of God devotees and saints-Brij ki Holi-Mathura- 6 march 2022 | Holi 2022: भगवान, भक्त व संतो की होली से सराबोर हुआ गोकुल रमणरेती | News Track in Hindi

हुरियारों की ओर से शब्द बाण छोडे़ जा रहे थे, जिसका जवाब हुरियारिन प्रेमपगी लाठियां बरसाकर दे रही थीं। एक-एक हुरियारे पर पांच-छह हुरियारिनों ने घूंघट की ओट से लाठियों की चोट की। लाठियों से स्नेह के रंग बरसे तो पूरा बरसाना होली की मस्ती में सराबोर हो गया। दोपहर के वक्त रंगीली गली से शुरू हुआ होली के उत्सव का यह दौर देर शाम तक यूं ही चलता रहा। देश-विदेश से आए हजारों श्रद्धालु इस द्वापरयुगीन लीला के साक्षी बने।

पगड़ी बांधते नंदगांव के हुरियारे
बरसाना के लोगों को सूचना मिली कि पीली पोखर पर नंदगांव के हुरियारे सजधज कर पहुंच चुके हैं। वहां उनका स्वागत किया गया। पीली पोखर पर हुरियारों ने लाठियों से बचने का इंतजाम किया। सिर पर पगड़ी बांधी। ढालों की रस्सी और हत्थे कसकर बांधे। किसी ने अपनी पगड़ी मोर पंख से सजाई तो किसी ने पत्तों और दूल्हा वाली पगड़ी से।
श्रीजी मंदिर में नंदगांव के हुरियारे
शाम करीब साढे़ चार बजे नंदगांव के हुरियारे बुजुर्गों के पैर छूकर और धोती ऊपर कर ऊंचागांव वाले पुल के समीप एकत्रित हो गए। हंसी-ठिठोली करते हुरियारे श्रीराधारानी मंदिर पहुंचे और श्रीजी से कान्हा संग होली खेलने का आग्रह किया। इस दौरान नंदगांव-बरसाना के समाजियों द्वारा समाज गायन किया गया।
हुरियारों पर रंग बरसाते बरसाना के लोग
श्रीराधारानी मंदिर की छतों पर ड्रमों में पहले से तैयार किया गया टेसू के फूलों का रंग हुरियारों पर पिचकारियों, बाल्टियों से उडे़ला गया। टेसू के फूल बरसाए। गुलाल के सतरंगी बादल घुमड़-घुमड़ कर लठामार होली का आगाज कराते रहे। समाज गायन का दौर करीब एक घंटे से अधिक चलता रहा।
हुरियारों पर लठ से प्रहार करतीं हुरियारिन
बरसाना की रंगीली गली में ध्वज पताका के आते ही हुरियारिनों की लाठियां हुरियारों पर बरसने लगीं। हुरियारिनों ने घूंघट की ओट से प्रेमपगी लाठियों से चोट की। भंग की तरंग में झूमते हुरियारे उन प्रहारों को कभी मयूरी नृत्य करके तो कभी लेटकर खुशी-खुशी सह जाते। लाठियों के प्रहारों को और तेज करने के लिए हुरियारे शब्द बाण छोड़ देते। इससे हुरियारिनों की लाठियों के प्रहारों और तेज हो जाते।
ब्रजभूमि में किस दिन होगी कौन सी होली, जानें पूरी लिस्ट | Which day will be Holi in Brajbhoomi, know the complete list

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here