अनुप्रिया और ओम प्रकाश नए सियासी क्षत्रप, पूर्वांचल की सियासत में बढ़ा कद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के इस बार के विधानसभा चुनाव में कई पुराने क्षत्रपों का सियासी किला ढह गया। इसके साथ ही कई सियासी समीकरण भी ध्वस्त हो गए। इस बीच लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में अपना दल-एस की प्रमुख अनुप्रिया पटेल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का सियासी कद पूर्वांचल में बढ़ा है।

इन दोनों नेताओं ने पूर्वांचल में न सिर्फ अपने सहयोगी दलों की जीत सुनिश्चित कराने में मदद की। बल्कि, विधानसभा में अपने विधायकों की संख्या कांग्रेस और बसपा जैसी बड़ी पार्टियों भी ज्यादा करने में सफल रहे। इन दोनों ही नेताओं की चुनावी सफलता ने पूर्वांचल की सियासत में उनका कद बढ़ा दिया है।

वाराणसी के ऐढ़े में जनसभा के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर। - फाइल फोटो
वाराणसी के ऐढ़े में जनसभा के दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर। – फाइल फोटो

गाजीपुर-मऊ और आजमगढ़ में बीजेपी को रोका

वर्ष 2017 में भाजपा के साथी रहे सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने इस विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया। इसका परिणाम यह रहा कि पूर्वांचल में आजमगढ़ और गाजीपुर में भाजपा का खाता ही नहीं खुला। मऊ जिले में बड़ी मुश्किल से एक विधानसभा सीट पर कमल खिला और 3 सीट पर सपा-सुभासपा गठबंधन को सफलता मिली। जौनपुर में सपा-सुभासपा गठबंधन पांच और बलिया जिले में तीन विधानसभा सीट जीतने में सफल रहा। इसके साथ ही पिछली बार की तुलना में इस बार सुभासपा के विधायकों की संख्या चार से बढ़कर छह हो गई।

वाराणसी के खजुरी गांव में चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल। - फाइल फोटो
वाराणसी के खजुरी गांव में चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल। – फाइल फोटो

नौ से बढ़ कर हुए 12 विधायक

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ थी और दोस्ती का सिलसिला उन्होंने इस बार भी बरकरार रखा। इसका फायदा यह हुआ कि पूर्वांचल में वाराणसी, मिर्जापुर और सोनभद्र में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया। इसके साथ ही भदोही में भाजपा को एक और जौनपुर में चार सीट जीतने में सफलता मिली। वहीं, बात अपना दल-एस के विधायकों की जाए, तो पिछली बार के चुनाव में नौ प्रत्याशी जीते थे। इस बार अपना दल-एस के 12 विधायक जीते हैं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अनुप्रिया और ओम प्रकाश ने यह साबित किया है कि पूर्वांचल के पटेल और राजभर बिरादरी के मतदाताओं में उनकी गहरी पैठ है। अपनी बिरादरी के लोगों के सुख-दुख में खड़े रहकर और उनकी समस्याओं को उचित मंच दिलाकर आने वाले समय में वह अपने सियासी कद को और भी ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। इस चुनाव से दोनों ही नेताओं को यह लाभ हुआ है कि पूर्वांचल में अब उनकी अनदेखी कोई भी बड़ा राजनीतिक दल नहीं कर सकता है।

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