अपने घर वापस आये प्रवासी मजदूरों की परिवार की तरह देखभाल कर रहे योगी

लखनऊ। कोरोना की आपदा के बीच राज्य में जहां अब तक 21 लाख प्रवासी कामगारों की सुरक्षित वापसी हो चुकी है। वहीं योगी सरकार की ओर से उनकी जरूरतों को पूरा करने और रोजगार मुहैया कराने का भी वादा किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निजी कार्यालय की ओर से रविवार को कहा गया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संवेदना ने ‘भूख’ के उस अर्थशास्त्र को समझा है जिसने किसी श्रमिक, कामगार को अपने गांव से दूर पलायन को विवश किया था। राज्य सरकार ने राशन पोर्टेबिलिटी योजना को लागू कर प्रवासियों के ‘पेट के संघर्ष’ को आसान किया है। अब पलायन पराजित होगा।
कार्यालय की ओर से ट्वीट किया गया कि उत्तर प्रदेश में वापस आने वाले हर प्रवासी कामगार, श्रमिक को मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार प्रदेश की सीमा पर ही पानी एवं भोजन की व्यवस्था कर उनकी उनके गंतव्य तक सम्मानजनक एवं सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करवा रही है। कोरोना की वैश्विक महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने सर्वाधिक अनुशासित ढंग से कार्य किये हैं। वापस आने वाले हर कामगार, श्रमिक को 15 दिन की राशन किट दी गयी है और 8 लाख से अधिक राशन कार्ड भी बनवाये गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संवेदनशील कार्यशैली ने कोरोना कहर की विभीषिका में प्रवासियों के बिखरे हौसलों और भयभीत चित्त को सहारा दिया है। निःशुल्क और सुरक्षित घर वापसी का सपना पूर्ण हो रहा है।
कोरोना कहर के दुर्धर कालखण्ड में हर जरूरतमंद को खाद्यान्न उपलब्ध कराने कि लिए राज्य सरकार ने स्टेट राशन पोर्टिबिलिटी को लागू किया। इसी क्रम में आठ लाख से अधिक नए राशन कार्ड बनाये गए और निरंतर बन रहे हैं। कोई ‘भूखा’ ना सोए, यह संकल्प पूरा हो रहा है, कोरोना हार रहा है।

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