सुभासपा प्रमुख ने पार्टी के प्रस्तावित सावधान महारैली की समीक्षा कर कार्यकर्ताओं का बढ़ाया उत्साह
वाराणसी। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर सोमवार को लोहिया नगर कालोनी फेस-2 आशापुर में आयोजित पार्टी के जिला स्तरीय कार्यकर्ता बैठक में शामिल हुए। बैठक में कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाते हुए पार्टी संगठन को मजबूत बनाने पर उन्होंने खासा जोर दिया। बैठक में ओमप्रकाश राजभर ने पार्टी के 20 वें स्थापना दिवस पर प्रस्तावित सावधान महारैली को लेकर रणनीतिक विमर्श भी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ किया।
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि सुभासपा 26 सितंबर को लखनऊ से चार यात्राएं निकालेगी। यह यात्राएं पूर्वांचल, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्यांचल व बुंदेलखंड सहित यूपी के सभी 75 जिलों में घूमेंगी। इसका समापन पार्टी के स्थापना दिवस पर 27 अक्तूबर को पटना के गांधी मैदान में सावधान महारैली से होगा। वाराणसी में 27 सितम्बर को मुनारी के मैदान में रैली होगी।
इसकी तैयारियों की समीक्षा की है। अब्बास अंसारी से जुड़े सवाल पर राजभर ने कहा कि ईडी,सीबीआई और अदालत अपना काम कर रही है। हमारे विधायक का जहां तक सवाल है तो एमपी एमएलए कोर्ट ने कहा है अब्बास अंसारी भगोड़ा नहीं है। तकनीकी दिक्कतों से उनकी जमानत नहीं हो पाई। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया है कि 25 तारीख तक उनको हाजिर करे। एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि देश पहले कृषि प्रधान देश था अब जाति प्रधान हो गया है।
उत्तर प्रदेश की 25 करोड़ आबादी में जो जातियां हैं, हम उनके साथ अब गठबंधन करने जा रहे हैं। उनके बीच जाकर हम पार्टी को मजबूत करने का काम करेंगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के चुनाव आयोग वाले बयान पर ओपी राजभर ने दो टूक कहा कि टिकट वितरण सबसे बड़ी कमजोरी रही। 125 सीट तो हम चुनाव आयोग के नियम पर ही जीते। शेष हार गये। उनको कहना चाहिए कि चुनाव आयोग ने 125 जितवा दिया और बाकी हरवा दिया।
साढ़े चार साल घर बैठना और 6 महीने में रिजल्ट पा जाना संभव नहीं है। भविष्य में भाजपा से गठबंधन के सवाल पर राजभर ने कहा कि अभी पार्टी संगठन को मजबूत करने में लगे हैं। देश और प्रदेश गठबंधन की दौर में है। आगे समय आएगा तो देखा जाएगा।
किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी के बाद सुभासपा प्रमुख ने कहा कि ये दलित-पिछड़ों के हितैषी नहीं हैं। ये नेता कोई एक सरकार ऐसी बता दें जो दलित-पिछड़ों की हितैषी है। कल कांग्रेस की सरकार हो जाएगी तो कहेंगे ये पार्टी दलित विरोधी है। परसों जनता दल या जनता पार्टी की सरकार हो जाएगी तो कहेंगे वह पिछड़ा विरोधी है। विपक्ष वाले केवल दूसरों को दोष देते हैं। उन्हें अपनी कमियां तो दिखती ही नहीं । अगर सरकार दलित-पिछड़ा विरोधी है तो सब विपक्ष के लोग मिलकर इस सरकार को हटा क्यों नहीं देते।