नई दिल्ली। एक तरफ गरीब दो जून की रोटी के लिए मुंह बाये खड़ा है तो दूसरी तरफ मोदी सरकार मदद की बजाए कर्ज की योजना गवारा नहीं होगा। ये बात यूपी की राजधानी लखनऊ के साप्ताहिक बाजार व्यापारी कल्याण समिति के सदस्य वसीम उल्ला आज़ाद ने कहीं।
आज केन्द्र सरकार ने कोविड -19 की वजह से घोषित लॉकडाउन से परेशानी में फंसे रेहड़ी पटरी वाले खुदरा विक्रेताओं की मदद के लिए सूक्ष्म वित्त पोषण की योजना शुरू की है, जिसके तहत फल सब्जी, चाय पकौड़े, पान गुटखा आदि बेचने वाले 50 लाख से अधिक लोगों को आसान शर्तों पर दस हजार तक का कर्ज मिल सकेगा।
कारोबारी वसीम उल्ला आज़ाद ने कहा कि सरकार को सोचना चाहिए कि दो महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है और गरीब कारोबारियों के रोजी नहीं भुखमरी के हलात हो चुके है। आज़ाद के अनुसार पटरी दुकानदार के लिए बेबसी के हालात सरकार ने पैदा किए है और अब सहायता की बात आयी तो कर्ज देने की बात की जा रही है।
आज़ाद का कहना है कि सरकार ये बात अच्छे जानती है पटरी दुकान को कर्ज नहीं मिल सकता क्योंकि उसके पास तो पार्यप्त कागज ही नहीं होंगे। सरकार के पास अगर हमारी डिटेल है तो हमारी मदद करें, यदि हम कर्ज लेंगे तो कमाएंगे क्या और कर्ज कहां से चुकाएंगे?
जावड़ेकर ने बताया कि हमारे मेहनती रेहड़ी पटरी वाले विक्रेताओं की मदद के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने उनको सस्ते ब्याज पर ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष सूक्ष्म वित्तपोषण की सुविधा योजना- पीएम स्व-निधि यानी प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्म निर्भर निधि शुरू की है।
इनके लिए है योजना
योजना के तहत उन्हें फिर से काम शुरू करने और अपनी आजीविका कमाने में सक्षम बनाने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगी। विभिन्न क्षेत्रों संदर्भों में वेंडर, हॉकर, ठेले वाले, रेहड़ी वाले, ठेली फलवाले आदि सहित 50 लाख लोगों को इस योजना से लाभ मिलने की संभावना है।
आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं में सब्जियां, फल, रेडी-टू-ईट स्ट्रीट फूड, चाय, पकौड़े, ब्रेड, अंडे, वस्त्र, परिधान, जूते, कारीगर उत्पाद, किताबें/स्टेशनरी आदि शामिल हैं। सेवाओं में नाई की दुकानें, मोची, पान की दूकानें व कपड़े धोने की दूकानें शामिल हैं।
जाने क्या है योजना
वे लोग कोविड-19 संकट के मद्देनजर जिन समस्याओं का सामना कर रहें है, उनके प्रति मोदी सरकार संवेदनशील है। ऐसे समय में उन्हें अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सस्ती क्रेडिट प्रदान करना सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता है।शहरी स्थानीय निकाय इस योजना के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के आस-पास सड़क पर माल बेचने वाले विक्रेता शहरी आजीविका कार्यक्रम के लाभार्थी बन गए हैं। वेंडर 10 हजार रुपये तक की कार्यशील पूंजी ऋण का लाभ उठा सकते हैं किसे वे एक वर्ष में मासिक किस्तों में चुका सकते हैं।
ऋण की समय पर/जल्दी चुकौती करने पर सात प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज सब्सिडी लाभार्थियों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से छह मासिक आधार पर जमा की जाएगी। ऋण के समय से पहले चुकाने पर कोई जुर्माना नहीं लिया जाएगा।