22 दिन से नानावटी हॉस्पिटल में कोविड-19 का इलाज करा रहे अमिताभ बच्चन ने आइसोलेशन वार्ड से ही अपने दोस्त और राजनेता अमर सिंह को श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने शनिवार शाम अपने ब्लॉग और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर एक फोटो साझा की है, जिसमें वे गर्दन झुकाए दिखाई दे रहे हैं। बिग बी ने सोशल मीडिया पर फोटो को कोई कैप्शन नहीं दिया है। लेकिन ब्लॉग पर इसके साथ अमर सिंह के सम्मान में दो इमोशनल लाइन लिखी हैं।
‘‘शोक ग्रस्त, मस्तिष्क झुका, प्रार्थनाएं केवल रहीं,
निकट प्राण, संबंध निकट, वो आत्मा नहीं रही !’’
कभी बच्चन परिवार के बेहद करीब थे अमर सिंह
एक समय था, जब अमर सिंह बच्चन परिवार के काफी करीब थे। कहा जाता है कि वे ही जया बच्चन को समाजवादी पार्टी में लेकर आए थे। हालांकि, 2012 में अनिल अंबानी की पार्टी में जया के साथ हुई कहासुनी के बाद बच्चन परिवार से उनके रिश्ते खराब हो गए थे। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘‘अमिताभ ने उस झगड़े में अपनी पत्नी का साथ दिया था। तभी से हमारे बीच दूरियां बढ़ गई थीं।’’
बच्चन परिवार पर लगाए थे कई आरोप
एक म्यूजिक एल्बम की लॉन्चिंग पर अमर सिंह ने कहा था, ‘‘अमिताभ बच्चन एक ऐसे एक्टर हैं, जो कई आपराधिक मामलों में लिप्त हैं। पनामा पेपर्स विवाद में भी उनका नाम आ चुका है।’’ एक अन्य कार्यक्रम के दौरान अमर सिंह ने कहा था, ‘‘ऐश्वर्या मेरी बहुत इज्जत करती है। अभिषेक ने भी आज तक मेरे खिलाफ कुछ नहीं कहा। मुझे अमिताभ बच्चन से भी कोई गिला नहीं है। उन्होंने खुद मुझे चेतावनी दी थी कि मैं जया बच्चन को पॉलिटिकल फील्ड में न उतारूं। मैंने ही उनकी भली सलाह नहीं मानी।’’
फरवरी में बच्चन परिवार से माफी मांगी थी
अमर सिंह ने 18 फरवरी 2020 को अमिताभ बच्चन से माफी मांगी थी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘‘आज मेरे पिताजी की पुण्यतिथि है और मुझे इसी वजह से अमिताभ बच्चन जी ने मैसेज भेजा। जिंदगी के ऐसे मोड़ पर जब मैं जीवन और मौत के संघर्ष में जूझ रहा हूं, मैं अमित जी और उनके परिवार के प्रति बेवजह की बयानबाजी के लिए खेद प्रकट करता हूं। भगवान उन सबकी रक्षा करे।’’
अमर सिंह ने 10 साल पुरानी बातें याद की थीं
अमर सिंह ने ट्वीट के अलावा फेसबुक पर वीडियो भी पोस्ट किया था। इसमें उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 10 वर्षों से मैं न सिर्फ बच्चन परिवार से दूर रहा, बल्कि यह भी प्रयत्न किया कि उनके दिल में मेरे लिए नफरत हो, लेकिन आज अमिताभ बच्चनजी ने फिर मेरे पिताजी का स्मरण किया तो मुझे ऐसा लगा कि इसी सिंगापुर में 10 साल पहले गुर्दे की बीमारी के लिए मैं और अमित जी लगभग 2 महीने तक साथ रहे थे और इसके बाद हमारा और उनका साथ छूट सा गया।’’
‘‘10 साल बीत जाने पर भी उनकी निरंतरता में कोई बाधा नहीं आई और वे लगातार अनेक अवसरों पर, चाहे मेरा जन्मदिन हो या पिताजी के स्वर्गवास का दिन हो…वे हर दिन का स्मरण कर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते रहे हैं। मुझे लगता है कि मैंने अनावश्यक रूप से ज्यादा उग्रता दिखाई। 60 से ऊपर जीवन की संध्या होती है। एक बार फिर मैं जिंदगी और मौत की चुनौती के बीच से गुजर रहा हूं। वे मुझसे उम्र में बड़े हैं, इसलिए उनके प्रति मुझे नर्मी रखनी चाहिए थी और जो कटुवचन मैंने बोला है, उसके लिए खेद भी प्रकट कर देना चाहिए।’’
‘‘मेरे मन में कटुता और नफरत से ज्यादा उनके व्यवहार के प्रति निराशा रही, लेकिन उनके मन में न तो कटुता है और न ही निराशा। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सबको ईश्वर उनके कर्मों के अनुसार यथोचित न्याय दे। हमें सब ईश्वर पर छोड़ना चाहिए, बजाय इसके कि हम उसके काम में खुद दखल दें। अमित जी बहुत-बहुत धन्यवाद।’’