अमेरिका की नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति से तय होगी बाइडन की विदेश नीति

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन की राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में भी चीन को अमेरिका का दुश्‍मन नंबर वन माना गया है। अमेरिका की 24 पेज वाली राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में चीन को प्रबल विरोधी के रूप में पेश किया है। आइए जानते हैं‍ कि इस राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में अमेरिका को किन देशों को लेकर सजग और सचेत रहने को कहा गया है। आखिर चीन समेत अन्‍य देशों को बाइडन की इस राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति को क्‍यों था इंतजार। इस रिपोर्ट से भारत क्‍यों है खुश।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्‍ट्रपति जो बाइडन द्वारा पद ग्रहण करने के बाद दुनिया की नजर उनकी नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा रणनीति पर टिकी थी। राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान बाइडन ने पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के कई फैसलों की निंदा की थी। खासकर चीन और ईरान की आक्रामक नीति को लेकर वह ट्रंप के खास विरोधी थे।

ऐसे में सत्‍ता सभांलने के बाद दुनिया की नजरें बाइडन की नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति पर टिकी थी। चीन, रूस, ईरान और उत्‍तर कोरिया को अमेरिका की राष्‍ट्रीय सुरक्षा रणनीति का खास इंतजार था। चुनाव के वक्‍त बाइडन का चीन के प्रति उदार दृष्टिकोण से उसे यह उम्‍मीद जगी थी कि अमेरिका के नए निजाम के साथ उसके ताल्‍लुकात बेहतर रहेंगे।

यही  उम्‍मीद ईरान को भी थी। बता दें‍ कि पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के वक्‍त परमाणु करार को लेकर ईरान और अमेरिका के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी। ईरान को उम्‍मीद थी कि बाइडन प्रशासन में उसके संबंध सामान्‍य हो जाएंगें।

 

हालांकि, प्रो. हर्ष पंत का मानना है कि चीन की महत्‍वकांक्षा को देखते हुए इस बात की उम्‍मीद कम ही थी कि वाशिंगटन से उसके बेहतर संबंध कायम होंगे। उनका कहना है कि चीन की विस्‍तारवादी नीति में अमेरिका उसकी सबसे बड़ी बाधा है। उन्‍होंने कहा कि कोराना महामारी के बाद राष्‍ट्रपति बाइडन को एक नए अमेरिका का साम्राज्‍य मिला। ऐसा अमेरिका जो कोरोना महामारी के चलते आर्थिक रूप से कमजोर हुआ है।

बाइडन के समक्ष आंतरिक तथा वाह्य चुनौतियां पहले से ज्‍यादा जटिल हैं। जाहिर है कि बाइडन प्रशासन को देश के अंदर और बाहर इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी नई रणनीति तय करनी होगी। बाइडन प्रशासन के लिए चीन को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती होगी। इसी तरह रूस, ईरान और उत्‍तर कोरिया पर भी अपनी स्‍पष्‍ट रणनीति तय करनी होगी।

बाइडन की राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में पहली बार अमेरिका की चिंता स्‍पष्‍ट रूप से दिखी है। इस दस्‍तावेज में कहा गया है कि व‍िश्‍व में शक्ति संतुलन की स्थिति में तेजी से बदलाव हो रहा है। अमेरिकी सुरक्षा नीति में चीन को लेकर बड़ी चिंता जाहिर की गई है। इसमें कहा गया है कि दुनिया में चीन तेजी से मुखर हो रहा है। अमेरिका ने अपना मुख्‍य प्रतिद्वंद्वी चीन को ही माना है। दस्‍तावेज में उल्‍लेख है कि चीन आर्थिक, कूटनीतिक, सैन्‍य और तकनीकी रूप से सक्षम है।

इन सभी क्षेत्रों में वह अमेरिका के रूप में बड़ी चुनौती पेश कर रहा है। नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति के बाद यह तय हो गया है कि चीन को बाइडन प्रशासन से कोई राहत मिलने वाली नहीं है। बाइडन प्रशासन और चीन के संबंध अब तनावपूर्ण और तल्‍ख ही रहेंगे। इसमें कोई बड़ा बदलाव होने वाला नहीं है। इससे एक बात और साफ हो गई है कि बाइडन भी अपने पूर्ववर्ती डोनाल्‍ड ट्रंप की राह पर चलने के लिए बाध्‍य होंगे।

प्रो. पंत का कहना है कि अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दोस्‍ती के बाद यह सवाल उठने लगा था कि अगर जो बाइडन चुनाव में विजयी होते हैं तो भारत के साथ उनके कैसे रिश्‍ते होंगे। अमेरिका की नई राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति के बाद यह संशय भी खत्‍म हो गया है।

राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत के साथ प्रगाढ़ संबंधों पर जोर दिया है। राष्‍ट्रीय सुरक्षा नीति में भारत से दोस्‍ती को मजबूत रखने का आग्रह किया गया है। इस सुरक्षा नीति में दक्षिण चीन सागर और प्रशांत क्षेत्र में चीन की दिलचस्‍पी को नियंत्रित करने के लिए भारत को और मजबूत करने पर बल दिया गया है।

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