अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ से तोड़ा नाता, चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने का ऐलान

वाशिंगटन। कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से सारे संबंध खत्म कर दिए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर पूरी तरह से चीन के इशारे पर चलने का आरोप लगाया है।
चीन ने गुरुवार को नेशनल पीपल कांग्रेस में एकतरफ़ा निर्णय से हांगकांग की स्वायत्तता को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम पारित किया था। इस अधिनियम के बाद हांगकांग को दो दशक पूर्व ब्रिटेन से मुक्ति मिली थी। इस पर चीन ने अगले 50 वर्ष तक हांगकांग की स्वायत्तता बनाए रखने और इसे एक वैश्विक क्षेत्र के रूप में निवेशकों को अधिकार दिए थे। यह अधिनियम सितम्बर में लागू हो जाएगा।
चीन पिछले कुछ अरसे से एक देश दो प्रणाली के ख़िलाफ़ हांगकांग में स्वायत्तता को ख़त्म किए जाने के बारे में मन बनाए हुए था। इस पर पिछली गर्मियों में छात्र और युवा आंदोलित हुए थे और अमेरिका ने लोकतांत्रिक आंदोलन के रूप में उनका समर्थन किया था। अमेरिका की ओर से चीन के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा के बाद यूरोपीय समुदाय को भी चीन के विरुद्ध क़दम उठाने के लिए रास्ता मिल गया है।
ट्रम्प का कहना हे कि चीन डब्ल्यूएचओ को कुल 40 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष का भुगतान करता है जबकि अमेरिका लगभग 450 मिलियन डॉलर प्रति वर्ष भुगतान करता है। डब्ल्यूएचओ बदलाव की प्रक्रिया शुरू करने में नाकाम रहा है और उसमें सुधारों की आवश्यकता है। इसलिए आज हम डब्ल्यूएचओ के साथ अपने संबंध समाप्त कर रहे हैं।
चीन ने एक देश, एक प्रणाली के बजाय दो प्रणालियों को अपना लिया है। इसलिए, मैं अपने प्रशासन को निर्देश दे रहा हूं कि वह हॉन्गकॉन्ग को अलग और विशेष उपचार देने वाली नीतिगत छूटों को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू करे।

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