कानपुर। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महिला सशक्तिकरण को लेकर बेहद गंभीर हैं। उत्तर प्रदेश में महिलाओं के सम्मान और त्वरित न्याय के साथ सुरक्षा प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के हर कोतवालियों/थानों में विशेष तौर पर महिला हेल्प डेस्क का निर्माण करवाया है।
यहां पर महिलाओं की 24 घंटे सुनवाई हो रही है और सरकार का दावा है कि इससे अब कोई भी महिला न्याय के लिए वंचित नहीं रहेगी, लेकिन कानपुर में सरकार का यह दावा फिलहाल कोरा साबित हो रहा है। हो भी क्यों न यहां पर अरबपति खेमका परिवार के जुल्म का शिकार हुई नाबालिग दामिनी (काल्पनिक नाम) दो साल से न्याय की आस लिए दर-दर भटक रही है।
दामिनी का आरोप है कि आयुष खेमका ने शादी का झांसा देकर कई बार दुष्कर्म किया और जब परिजनों के साथ आयुष के घर शादी की बात करने गयी तो उसके माता-पिता ने पिटाई करके भगा दिया। पीड़िता पर इन रसूखदारों का खौफ इस कदर है कि वह अपने मुकदमे में पैरवी करने व गवाही देने तक नहीं आ पा रही है। कारण यह है कि रसूखदार खेमका परिवार ने पीड़िता के मददगारों के ऊपर षड्यंत्र के तहत मुकदमें दर्ज करवाकर दो लोगों को जेल भिजवा दिया है।
आरोपी के पिता सुनील खेमका का कहना है कि दामिनी को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ढूंढ रही है। यही नहीं सुनील खेमका द्वारा दबाव बनाने के लिए शहर में शिगूफा उड़ाया जा रहा है कि दामिनी जल्द गिरफ्तार होगी, जबकि विवेचक के मुताबिक दामिनी वांछित ही नहीं है। ऐसे में अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री के मिशन शक्ति अभियान से या तो दामिनी को न्याय मिलेगा या तो रसूखदार खेमका परिवार के सामने अभियान नतमस्तक साबित होगा।
कानपुर नगर की जिस दामिनी की हम बात कर रहे हैं वह दामिनी और कोई नहीं आयुष खेमका के जुल्म का शिकार हुई दुष्कर्म पीड़िता है। खेमका परिवार कानपुर में एक ऐसे परिवार के नाम से जाना जाता है जिनकी पहुंच व धमक सरकारों में भी होती है।
इसी रसूखदार परिवार से ताल्लुक रखने वाले सुनील खेमका के पुत्र आयुष खेमका ने एक दामिनी को पहले तो अपनी हवस का शिकार बनाया और उसके बाद उस पर व उसके परिवार पर अनेकों जुर्म किए किसी तरह जब लोकतंत्र का चौथा स्तंभ इस मामले को सामने लाया तो मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन कानपुर नगर पुलिस आरोपी के विरुद्ध कार्रवाई करने की जगह उसे बचने के रास्ते बताती गई।
एक मर्तबा तो इस मामले में तत्कालीन एसएसपी/डीआईजी अनंत देव ने अग्रिम विवेचना के आदेश तक जारी कर दिए थे, लेकिन दामिनी के अथक प्रयासों व उसके अधिवक्ता की मेहनत ने रसूखदार दुष्कर्मी आयुष खेमका को जेल का रास्ता जरुर दिखला दिया।
जेल के बजाए जिला अस्पताल को बनाया था ठिकाना
खेमका परिवार का रसूख इस कदर है कि पहले तो बिना मीडिया के सामने लाये पुलिस ने आयुष खेमका को चुपके से जेल भेज दिया। जेल में वह अपनी पहुंच का फायदा उठाते हुए बीमारी का बहाना करके जिला अस्पताल को ठिकाना बना लिया था। जेल में जो बीमारी दिखाई गयी थी उससे संबंधित डाक्टर की जगह अपने सेटिंगबाज डाक्टर के अंडर में भर्ती कराया गया। जिससे साफ होता है कि उसको किसी भी प्रकार की बीमारी नहीं थी। हालांकि इन दिनों दामिनी से दुष्कर्म का आरोपी आयुष जमानत पर जेल से बाहर चल रहा है।
आयुष खेमका के जेल जाते ही शुरु हुआ दामिनी के विरुद्ध साजिशों का दौर
आयुष खेमका के जेल जाने के बाद जब दामिनी समझौता करने को तैयार नहीं हुई तो आयुष के पिता सुनील खेमका ने अपने रसूख के बल पर दामिनी का सहयोग कर रहे लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाना और उन्हें जेल भिजवाना शुरु कर दिया। यही नहीं कईयों पर यह आरोप लगा दिए गए कि वह गैरकानूनी तरीके से रुपयों की मांग कर रहे थे। उसके बाद भी दामिनी ने हार नहीं मानी, लेकिन झूठे आरोप लगाकर उसे भी शहर छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया है।
अपने रसूख के बल पर स्वयं सुनील खेमका का कहना है कि दामिनी को कानपुर पुलिस गिरफ्तार करने के लिए ढूंढ रही है, हालांकि वहीं दूसरी ओर जब प्रकरण की छानबीन कर रहे जांच अधिकारी से वार्ता की गई तो उनका कहना था कि जिस मुकदमे की विवेचना वह कर रहे हैं उस मामले में दामिनी फिलहाल वांछित नहीं है।
सीबीआई से जांच कराने की उठ रही मांग
शहर के कुछ समाजसेवियों व नागरिकों द्वारा सरकार से यह मांग की जा रही है कि आयुष खेमका के मामले में दामिनी को इंसाफ दिलाने के लिए वर्तमान समय में सरकार के द्वारा सीबीआई जांच कराई जानी चाहिए, जिससे सरकार की मंशा पर सवालिया निशान न लग सके।
यह था पूरा मामला
विदित हो कि, थाना कल्याणपुर में 13 मार्च 2019 को मुकदमा अपराध संख्या 213 / 2019 धारा 376 एवं अन्य धाराओं में आयुष के साथ-साथ उसके पिता सुनील खेमका उसकी मां नीलम खेमका के विरुद्ध भी दर्ज किया गया था। क्योंकि मामला 376 और पाक्सो एक्ट का सिर्फ आयुष खेमका पर बनता था। इसलिए गैर जमानती धारा होने पर आयुष को जेल जाना पड़ा।
लेकिन आयुष के पिता एवं मां पर भी कल्याणपुर पुलिस द्वारा बलात्कार की शिकार पीड़िता के साथ गाली-गलौज करने जान से मारने की धमकी देने छल करने की आईपीसी की धारा 504-506-417 के अंतर्गत आरोप में संलिप्त पाते हुए चार्जशीट इनके विरुद्ध भी कोर्ट में दाखिल की गई है। क्योंकि आयुष के माता-पिता ने भी पीड़िता के साथ अमानवीय बर्ताव किया था।