अलविदा नीरू कपूर…जब मेरी पहली बार उनसे हुई थी मुलाकात…

लखनऊ। बात उन दिनों की है जब मैं पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था। मुझे खेलों से बहुत लगाव था। खासकर क्रिकेट देखना और खिलाडिय़ों के बारे में जानना मेरा शौक था।

ये भी एक संयोग है कि जब मैंने पहली नौकरी ज्वाइन की तो मुझे खेल पत्रकार के तौर पर जनसत्ता अखबार में काम करने का मौका मिला। शुरुआती दिनों में मैं फील्ड रिपोर्टिंग पर ज्यादा फोकस करता था। इसी दौरान एक दिन मेरी मुलाकात एक ऐसे क्रिकेटर से हुई थी जिसे यूपी क्रिकेट का लीजेंड कहा जाता था।

हालांकि वो इंटरनेशनल क्रिकेटर नहीं थे लेकिन उनका रूतबा किसी बड़े क्रिकेटर से कम नहीं था। उनका क्रिकेट करियर महज 12 रणजी ट्रॉफी तक की सिमट कर रह गया लेकिन क्रिकेट के प्रति उनका जुनून देखते ही बनता था।

शायद मेरी आखिरी बार बात यूपी क्रिकेट को लेकर हुई थी। जब मैं उनसे मिलता था तो अक्सर यूपी क्रिकेट की बात किया करते थे और कहते थे कि यूपी की टैलेंट की कोई कमी नहीं बस उसे निखारने की जरूरत है। हालांकि मैंने अपने जीवन में कई बड़े क्रिकेटरों का साक्षात्कार किया हैं लेकिन नीरू कपूर मुझ जैसे खेल पत्रकार को अंदर की खबर भी बातों-बातों दे जाते थे और कहते थे कि यूपी क्रिकेट को सुधारना है और ये एक आदमी के बस का नहीं बल्कि सबको मिलकर काम करना होगा। 60 और 70 के दशक के यूपी क्रिकेट में उनकी चर्चा खूब होती थी।

81 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा है लेकिन जब तक वो चलते-फिरते थे तो अक्सर चौक स्टेडियम में उनसे मुलाकात हो जाती थी। उनके बारे में उनके साथी क्रिकेटर बताते हैं उनकी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं हो सका। यूपी क्रिकेट में उनको जो सम्मान मिलना चाहिए था वो शायद उससे वंचित रहे हैं।

1964 में रणजी ट्रॉफी के लिए उनको यूपी क्रिकेट में रखा गया था लेकिन उनको सिर्फ 12 रणजी मैच खेलने का मौका मिला और 28 साल की उम्र में उनका करियर खत्म हो गया। केडी सिंह बाबू स्टेडियम  भी उनकी एक जोरदार पारी का गवाह रहा है। दरअसल उन्होंने ऑल इंडिया सर फ्रैंक वॉरेल टूर्नामेंट में 4 घंटे में दोहरा शतक जडक़र उस वक्त सबको हतप्रभ कर दिया था।.

उन्होंने चयनकर्ता और प्रबंधक के तौर पर यूपी क्रिकेट को आगे बढ़ाया। यूपी टीम के चयनकर्ता के तौर पर 15 साल अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा महिला टीम के चयनकर्ता के रूप में भी काम किया वहीं नीरू कपूर खेल निदेशालय से उपनिदेशक के तौर पर काम किया है और इस दौरान उन्होंने सिर्फ खिलाड़ियों को कैसे आगे बढ़ाया जाये और उनके कौन सी योजनाएं शुरू की जाये जिससे खिलाड़ियों को आगे बढऩे में मदद मिल सके। आज वो हमारे बीच नहीं है लेकिन उनके द्वारा किये गए काम को कोई नहीं भूल सकता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here