पूरा केरल ही वैसे तो अत्यधिक खूबसूरत है और यहां प्रकृति ने जी-भरकर खूबसूरती लुटाई है। यहां पर्वत हैं, घाटियां हैं, नदियां हैं, जंगल हैं, हरियाली है, समुद्रतट है, संस्कृति है और इतिहास है। और जो सबसे खूबसूरत है, वो हैं यहां के बैकवॉटर्स। यूं तो पूरे केरल में ही बैकवॉटर्स मिल जाएंगे, लेकिन अलेप्पी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां बैकवॉटर्स का जो रूप देखने को मिलता है, वो पूरे केरल और पूरे भारत में अन्यत्र कहीं देखने को नहीं मिलता। अलेप्पी को अब अलप्पुझा भी कहते हैं। यहां दो मुख्य झीलें हैं – पुन्नामाड़ा और वेम्बानाड़। ये दोनों झीलें और इनके आसपास का क्षेत्र आदर्श बैकवॉटर का निर्माण करते हैं। पश्चिमी घाट के पहाड़ों से जो नदियां आती हैं, उनका पानी समुद्र में मिलने से पहले इन झीलों में मिलता है और ठहर-सा जाता है। समतल भूभाग होने के कारण यह पानी दूर-दूर तक फैल जाता है। इस पूरे फैलाव को बैकवॉटर कहते हैं। यहां झीलों, नहरों, जमीन और द्वीपों का घना जाल-सा बिछा है।
पुन्नामाड़ा छोटी झील है और अलेप्पी शहर इसी के किनारे स्थित है। जबकि वेम्बानाड़ बहुत बड़ी झील है और कोच्चि से कोट्टयम और अलेप्पी तक फैली है। दोनों झीलें आपस में नहरों के माध्यम से जुड़ी हैं। इन नहरों और झीलों में नावों से आवागमन होता है। यहां का समतल भूभाग, नहरों के किनारे नारियल के ऊंचे पेड़, धान के खेत, नीला आसमान पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं।
हाउसबोट अलेप्पी का मुख्य आकर्षण हाउसबोट हैं। हाउसबोट अलग-अलग साइज की होती हैं, एक कमरे से लेकर दस कमरों तक। आप हाउसबोट में ठहर भी सकते हैं। सभी हाउसबोट वातानुकूलित होती हैं और केरल की उमस व गर्मी का एहसास नहीं होता। इन्हीं में किचन भी होती है और आप अपनी पसंद का भोजन यहां बनवा सकते हैं। ये हाउसबोट झील में तैरती रहती हैं और इनके डेक पर आराम से बैठकर झील को निहारना अलग ही अनुभव होता है। अगर शाम का समय हो तो सूर्यास्त को देखना अपने आप में अलौकिक अनुभव होता है। सूर्यास्त के बाद हाउसबोट झील में मूवमेंट नहीं करतीं, बल्कि एक स्थान पर रुक जाती हैं। इसका कारण है कि रात में स्थानीय मछुआरे मछली पकड़ते हैं और प्रशासन ने रात में हाउसबोट चलाने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
कुमाराकोम वेम्बानाड़ झील के दूसरे किनारे पर यानी कोट्टयम की तरफ कुमाराकोम नामक स्थान है। अलेप्पी जहां अति प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, वहीं कुमाराकोम एकदम शांत स्थान है। यहां भी आप चाहें तो हाउसबोट में ठहर सकते हैं और चाहें तो झील के किनारे किसी लेकसाइड रिसॉर्ट में भी ठहर सकते हैं। यहां आप छोटी नावों, शिकारों में उन स्थानों तक भी जा सकते हैं, जहां बड़ी हाउसबोट नहीं जा सकतीं।
कैसे पहुंचें? अलेप्पी सड़क और रेलमार्ग से पूरे देश से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। त्रिवेंद्रम जाने वाली ज्यादातर ट्रेनें अलेप्पी से होकर ही गुजरती हैं। नजदीकी हवाई अड्डा कोच्चि है, जो अलेप्पी से 60 किमी दूर है।
कहां ठहरें? अलेप्पी में हर बजट के होटल और होमस्टे उपलब्ध हैं। लेकिन ज्यादातर लोग हाउसबोट में ठहरना पसंद करते हैं। आप हाउसबोट की बुकिंग ऑनलाइन भी कर सकते हैं और यहां आकर भी कर सकते हैं। इनके अलावा बहुत सारे लेकसाइड और सी-साइड रिसॉर्ट भी हैं, जहां ठहरना एक लक्जरी अनुभव होता है। आप चाहें तो कोच्चि में भी ठहर सकते हैं और दिनभर अलेप्पी घूमकर शाम को वापस कोच्चि जा सकते हैं।
कब जाएं? अलेप्पी कभी भी जाया जा सकता है। यहां का मौसम पूरे साल गर्म और उमस भरा रहता है। दिसंबर और जनवरी में जाना थोड़ा बेहतर है। मानसून में भी जाया जा सकता है। इस मौसम में नेहरू ट्रॉफी बोट रेस आयोजित होती है।